जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ ने उस आपराधिक मामले को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें एक महिला ने पूर्व प्रेमी पर बार-बार बलात्कार करने का आरोप लगाया था। पीठ ने कहा, शिकायतकर्ता महिला के बयान से कोई संकेत नहीं मिलता कि 2017 में उनके रिश्ते की शुरुआत में शादी का कोई वादा किया गया था। यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता कि महिला ने पूर्व प्रेमी से शादी के आश्वासन के कारण ही यौन संबंध बनाए। पक्षों के बीच संबंध सौहार्दपूर्ण और सहमति से बने थे। पीठ ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट ने यह निष्कर्ष निकालने में गलती की कि महिला की ओर से कोई सहमति नहीं थी, इसलिए वह यौन उत्पीडऩ की शिकार थी।
यह है मामला?
महिला ने सितंबर 2019 में एफआइआर दर्ज कराई थी। इसमें आरोप लगाया गया कि पूर्व प्रेमी ने शादी का झूठा वादा कर उसका यौन शोषण किया। एफआइआर रद्द करने की मांग वाली याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में खारिज होने के बाद पूर्व प्रेमी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।