scriptजर्मन नागरिक कैसे बना भारत के इस राज्य में तीन बार चुना गया विधायक? अब HC ने लगाया 30 लाख का जुर्माना | German citizen Chennamaneni Ramesh has been an MLA thrice in India, HC imposed a fine of Rs 30 lakh on him | Patrika News
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जर्मन नागरिक कैसे बना भारत के इस राज्य में तीन बार चुना गया विधायक? अब HC ने लगाया 30 लाख का जुर्माना

Chennamaneni Ramesh: तेलंगाना उच्च न्यायालय ने सोमवार को कांग्रेस नेता आदि श्रीनिवास की दायर याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि पूर्व बीआरएस नेता चेन्नामनेनी रमेश एक जर्मन नागरिक हैं और उन्होंने वेमुलावाड़ा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया।

हैदराबाद तेलंगानाDec 10, 2024 / 02:04 pm

Ashib Khan

chennamaneni ramesh

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EX Mla German Citizen: तेलंगाना उच्च न्यायालय ने सोमवार को कांग्रेस नेता आदि श्रीनिवास की दायर याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि पूर्व बीआरएस नेता चेन्नामनेनी रमेश एक जर्मन नागरिक हैं और उन्होंने वेमुलावाड़ा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया और खुद को एक भारतीय नागरिक के रूप में पेश किया। कोर्ट ने माना कि चेन्नामनेनी रमेश जर्मन दूतावास से यह पुष्टि करने वाले दस्तावेज पेश करने में असफल रहे है कि वे अब उस देश के नागरिक नहीं है। कोर्ट ने रमेश पर 30 लाख का जुर्माना लगाया जिसमें से 25 लाख कांग्रेस नेता आदि श्रीनिवास को देय हैं, जिनके खिलाफ रमेंश नवंबर 2023 का चुनाव हार गए थे।

कांग्रेस नेता ने किया पोस्ट

कांग्रेस नेता आदि श्रीनिवास ने एक्स पर पोस्ट किया है। उन्होंने कहा कि पूर्व विधायक चेन्नामनेनी रमेश पर कड़ी प्रतिक्रिया…रमेश पर 30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया, जो जर्मन नागरिक के तौर पर झूठे दस्तावेजों के आधार पर विधायक चुने गए थे। बता दें कि चेन्नामनेनी रमेश इससे पहले वेमुलावाडा विधानसभा सीट से चार बार चुनाव जीते थे, 2009 में तेलुगु देशम पार्टी से और फिर 2010 से 2018 तक तीन बार पार्टी बदलने के बाद जिसमें उपचुनाव भी शामिल है। 

क्या है पूरा मामला

केंद्र ने 2020 में तेलंगाना हाईकोर्ट को सूचित किया था कि रमेश के पास एक जर्मन पासपोर्ट है, जो कि 2023 तक वैध है और केंद्रीय गृहमंत्रालय ने पहले ही उनके भारतीय नागरिकता को रद्द करने का आदेश जारी कर दिया था। इस आधार पर उन्होंने अपने आवेदन में तथ्य छुपाए थे। गृह मंत्रालय ने कहा कि रमेश के गलत बयान और तथ्यों को छिपाने से भारत सरकार गुमराह हुई। अगर उन्होंने बताया होता कि आवेदन करने से पहले वे एक साल तक भारत में नहीं रहे थे , तो इस मंत्रालय में सक्षम प्राधिकारी ने नागरिकता प्रदान नहीं की होती। इसके बाद रमेश ने गृह मंत्रालय के आदेश को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी। इसके बाद उनसे हलफनामा दाखिल करने को कहा गया, जिसमें उनके जर्मन पासपोर्ट के समर्पण से संबंधित विवरण का खुलासा और उसे संलग्न करने के साथ ही यह भी प्रणाणित करने को कहा गया कि उन्होंने अपनी जर्मन नागरिकता छोड़ दी है। 2013 में तत्कालीन अविभाजित आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने इसी कारण से उपचुनाव में मिली जीत को रद्द कर दिया था। इसके बाद रमेश ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और स्थगन की मांग की।

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