बिहार में इन दिनों जातीय जनगणना और आरक्षण को लेकर एक अलग ही बयार बह रही है। पहले नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की सरकार ने राज्य में जातीय जनगणना कराया फिर सूबे में आरक्षण की सीमा को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दिया और अब राष्ट्रीय जनता दल के विधान पार्षद (एमएलसी) ने आरक्षण के मुद्दे पर नीतीश कुमार और लालू यादव को घेरा है। उन्होंने दोनों ही नेताओं को अतिपिछड़ा समाज का सबसे बड़ा विरोधी बताया है।
लालू-नीतीश हैं अतिपिछड़ा समाज के सबसे बड़े विरोधी
राजद के एमएलसी प्रो. रामबलि चंद्रवंशी रविवार को बिहार के औरंगाबाद जिले में चंद्रवंशी चेतना मंच द्वारा आयोजित जाति आधारित सर्वेक्षण और अतिपिछड़ा वर्ग की स्थिति पर आयोजित सेमिनार में बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने आरक्षण के मुद्दे पर नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव को अतिपिछड़ा समाज का सबसे बड़ा विरोधी बताया।
उन्होंने कहा कि हम आरक्षण के मुद्दे को लेकर सत्ता से सड़क और फिर न्यायालय तक गए। कर्पूरी चर्चा के बहाने नीतीश की चर्चा हो रही है। कर्पूरी ठाकुर की मंशा पूरी नहीं हो रही है। तीन जातियों को अतिपिछड़ा में घुसा दिया गया। और जब मैंने इस बात की शिकायत लालू यादव से की तो उन्होंने चुप्पी साध ली।
अतिपिछड़ों का हक BJP नहीं, लालू और नीतीश मार रहें
रामबलि चंद्रवंशी इतने पर ही नहीं रुके, उन्होंने अपनी बात को आगे रखते हुए कहा कि वह जब इस मुद्दे को लेकर राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के पास गए तो उनकी हिम्मत नहीं हुई कि वे नीतीश कुमार से बात करें। इसके बाद मैंने इस मुद्दे पर जदयू के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह से बात की, तब उन्होंने कहा था कि कैबिनेट के एजेंडे में यह प्रस्ताव शामिल कर लिया गया है, अब इसे केवल नीतीश कुमार ही रोक सकते हैं। अतिपिछड़ों का हक भाजपा नहीं, बल्कि लालू और नीतीश कुमार मार रहे हैं।