scriptExplainer: अमेठी में कांग्रेस ने कर दिया ‘गेम’, राहुल गांधी के ना उतरने से PM मोदी का बड़ा प्लान फेल! | Explainer Congress played game in Amethi PM Modi big plan failed due to Rahul Gandhi's absence | Patrika News
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Explainer: अमेठी में कांग्रेस ने कर दिया ‘गेम’, राहुल गांधी के ना उतरने से PM मोदी का बड़ा प्लान फेल!

Amethi Rahul gandhi Smriti Irani: अमेठी से लगातार तीन बार सांसद रहने वाले राहुल गांधी ने अपनी परंपरागत सीट को अलविदा कह दिया है। इसी सीट से कांग्रेस ने केएल शर्मा को चुनावी मैदान में उतारा है। चलिए समझते हैं कि आखिर इसमें कांग्रेस को क्या नफा क्या नुकसान होने वाला है।

नई दिल्लीMay 03, 2024 / 03:43 pm

Anish Shekhar

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अमेठी लोक सभा सीट की जगह रायबरेली से चुनाव लड़ने का फैसला किया, लेकिन इसके बावजूद अमेठी लोकसभा सीट हॉट केक बनी हुई है। इस सीट से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी तीसरी बार चुनावी मैदान में है। 31 सालों तक गांधी परिवार के प्रतिनिधित्व में रहने वाली इस सीट से 25 साल बाद कांग्रेस ने किसी गैर गांधी उम्मीदवार को टिकट दिया है, यानी इस चुनाव में स्मृति ईरानी से सीधे मुकाबले में कांग्रेस के किशोरी लाल शर्मा होंगे। हालांकि बहुजन समाज पार्टी ने नन्हें सिंह चौहान को चुनावी मैदान में उतार कर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है। लेकिन इस चुनाव में बसपा कहां टिकती है यह वक्त बताएगा।

किसे नफा किसे नुकसान

कांग्रेस ने भले ही गैर गांधी के एल शर्मा को टिकट दिया है, लेकिन इसे प्रचारित ऐसे ही किया जा रहा है कि गांधी परिवार के ही सदस्य को टिकट दिया गया है। राजनीतिक पंडित कांग्रेस के इस कदम को एक सोची समझी रणनीति बता रहे हैं। कहा जा रहा है कि अमेठी को लेकर बीजेपी की वो रणनीति धरी की धरी रह गई, जिसमें राहुल और स्मृति के फेस ऑफ की उम्मीद की जा रही थी। कांग्रेस के इस मूव से बीजेपी के नेताओं के हाथ से एक बड़ा मुद्दा निकल गया। साथ ही गैर गांधी उम्मीदवार उतारने से बीजेपी अब कांग्रेस पर ‘परिवारवाद’, ‘शहजादा’ और ‘खानदान’ जैसे शब्दों का प्रयोग भी वार-पलटवार में नहीं कर सकेगी। क्योंकि इस चुनाव में राहुल अकेले ही गांधी परिवार से चुनावी मैदान में है।
भले ही अमेठी हॉट केक बनी हुई है, लेकिन इस सीट को उतनी तवज्जो भी नहीं मिलेगी जितनी राहुल के चुनाव लड़ने से मिलती। राहुल गांधी के अमेठी से चुनाव लड़ने पर कांग्रेस इस सीट पर ही फंस कर रह जाती। लेकिन अब राहुल अन्य क्षेत्रों में भी आसानी से चुनाव की कमान संभाल सकते हैं और अन्य सीटों पर ज्यादा वक्त दे सकेंगे।

स्मृति जीती तो..?

इस सीट पर अगर एक बार फिर स्मृति ईरानी की जीत होती है तो वो जीत इतनी बड़ी नहीं मानी जाएगी, जितनी बड़ी 2019 में राहुल गांधी को हरा कर मिली थी। वहीं अगर के एल शर्मा जीतने में कामयाब होते हैं कांग्रेस यह संदेश देने में कामयाब हो होगी कि केंद्रीय मंत्री को गांधी परिवार के कारिंदे ने ही चुनाव हरा दिया। कुलमिलाकर, कांग्रेस इसे सोची समझी रणनीति बता रही है तो वहीं बीजेपी कह रही डरो मत, भागो मत कह कर घेरने की कोशिश कर रही है।

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