एनजीओ ‘वेटरंस फोरम फॉर ट्रांसपेरेंसी इन पब्लिक लाइफ’ की ओर दायर की गई याचिका में अस्पतालों में मेडिकल चार्ज के अलग-अलग मानकों को लेकर सवाल उठाया गया था। कोर्ट ने चेतावनी दी है कि अगर केंद्र सरकार स्टैंडर्ड रेट को अधिसूचित करने में विफल रहती है तो न्यायालय प्राइवेट अस्पतालों में भी सरकारी रेट लागू पर विचार करेगी। जस्टिस बीआर गवई और संदीप मेहता की पीठ ने सख्त रवैया अपनाते हुए कहा है कि केंद्र सरकार अगले महीने मार्च तक इस दिशा मेें कदम उठाते हुए अस्पतालों में स्टैंडर्ड चार्ज तय कर ले, नहीं तो कोर्ट की तरफ से सभी अस्पतालों में एक समान फिक्स सरकारी चार्ज तय करने की दिशा में विचार किया जाएगा।