वेश्यालय से भीख मांगकर लाई जाती है मिट्टी
कहा जाता है कि दुर्गा की प्रतिमा बनाने वाले मूर्तिकार वेश्यालय जाकर वेश्याओं से भीख में मांग कर उनके आंगन की मिट्टी लाते हैं। वेश्याओं से एक मूर्तिकार तब तक भीख मांगता है जब तक कि उसे मिट्टी नहीं मिल जाती है। प्राचीन काल में इस प्रथा का हिस्सा मंदिर का पुजारी होता था, समय बदला पुजारी के अलावा मूर्तिकार भी वेश्यालय से मिट्टी लाने लगे।इसके बिना दुर्गा की मूर्ति पवित्र नहीं मानी जाती
इसके अलावा, एक कहानी यह भी है कि एक वेश्या मां दुर्गा की भक्त थी, जिसका समाज में तिरस्कार होता था। वेश्या को तिरस्कार से बचाने के लिए दुर्गा मां ने उसे वरदान दिया कि उसके आंगन की मिट्टी के इस्तेमाल के बिना दुर्गा की मूर्ति पवित्र नहीं मानी जाएगी। यह भी पढ़ें
अब गाड़ी के चालान पर 50% की छूट! सरकार का बड़ा फैसला, लेकिन माननी होगी ये शर्त
मिट्टी को माना जाता है दुर्गा की शक्ति का प्रतीक
वेश्यालय की मिट्टी को भावनाओं और संवेदनाओं का प्रतीक माना जाता है। इस प्रथा का एक बड़ा उद्देश्य सामाजिक जागरूकता और सम्मान को बढ़ावा देना है। वेश्यालय में काम करने वाली महिलाओं के प्रति समाज में अक्सर भेदभाव और अवहेलना का सामना करना पड़ता है। वेश्यालय की मिट्टी को पवित्र और शुद्ध माना जाता है, क्योंकि यहां रहने वाली महिलाएं अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना करती हैं और फिर भी वे अपनी पवित्रता और शुद्धता को बनाए रखती हैं। इसके अलावा, मिट्टी को दुर्गा की शक्ति का प्रतीक माना जाता है, जो समाज में व्याप्त असमानता और अन्याय के खिलाफ लड़ती हैं। यह भी पढ़ें