एंटीबायोटिक प्रतिरोध में वृद्धि को रोकने के लिए एनएमसी ने मरीजों के लिए उचित एंटीबायोटिक्स या एंटीमाइक्रोबियल्स निर्धारित करने पर जोर दिया है। ये दिशा-निर्देश केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक के कुछ महीने पहले के उस निर्देश के बाद आए हैं, जिसमें डॉक्टरों से कहा गया था कि जब वे किसी मरीज को एंटीबायोटिक लिखें तो उसके कारण का स्पष्ट उल्लेख करें।
भारत से हैं सबसे ज्यादा संक्रामक बीमारियां
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान है कि भारत में संक्रामक बीमारियां दुनिया में सबसे ज्यादा हैं। एंटीबायोटिक दवाओं के अनुचित और अविवेकपूर्ण इस्तेमाल के कारण रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) में खतरनाक वृद्धि हो रही है। दवाओं का बैक्टीरिया, वायरस, कवक और परजीवी पर असर नहीं होने को एएमआर कहा जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान है कि भारत में संक्रामक बीमारियां दुनिया में सबसे ज्यादा हैं। एंटीबायोटिक दवाओं के अनुचित और अविवेकपूर्ण इस्तेमाल के कारण रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) में खतरनाक वृद्धि हो रही है। दवाओं का बैक्टीरिया, वायरस, कवक और परजीवी पर असर नहीं होने को एएमआर कहा जाता है।
एएमआर का खतरा भारत में सर्वाधिक
वॉशिंगटन और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के विश्लेषण के मुताबिक हालांकि एएमआर वैश्विक चुनौती है, लेकिन भारत में इसका खतरा विशेष रूप से बहुत ज्यादा है। देश में 2019 में एएमआर के कारण 2.97 लाख मौतें हुईं। एएमआर से ऐसे संक्रमण फैलने का जोखिम बढ़ जाता है, जिनका इलाज मुश्किल होता है।
वॉशिंगटन और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के विश्लेषण के मुताबिक हालांकि एएमआर वैश्विक चुनौती है, लेकिन भारत में इसका खतरा विशेष रूप से बहुत ज्यादा है। देश में 2019 में एएमआर के कारण 2.97 लाख मौतें हुईं। एएमआर से ऐसे संक्रमण फैलने का जोखिम बढ़ जाता है, जिनका इलाज मुश्किल होता है।