दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार डेल्टा अध्य्यन के मुताबिक, कोरोना का डेल्टा वेरिएंट ही दुनिया में सबसे ज्यादा फैल रहा है। माना जाता है कि भारत में कोरोना की दूसरी लहर के लिए भी यही वेरिएंट जिम्मेदार था क्योंकि यह टीकाकरण करवा चुके लोगों को भी प्रभावित करता है। ICMR ने अपनी रिपोर्ट में अन्य स्टडीज का हवाला भी दिया है, जिनमें डेल्टा वेरिएंट से संक्रमण के बाद कोविशील्ड और कोवैक्सीन लेने वालों में एंटीबॉडीज की ताकत घटने की बात कही गई है। स्टडी के अनुसार, पूरी तरह वैक्सीनेटेड लोगों में ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन होने की यही वजह हो सकती है।
क्या है ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन
ब्रेकथ्रू इंफेक्शन (Breakthrough Infection) किसी भी बीमारी में संक्रमण की वह स्थिति होती है, जब लोग उससे बचाव के लिए वैक्सीन लगवाने के बाद भी उसकी चपेट में आने से बच नहीं पाते।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च-नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरलॉजी (ICMR-NIV) की डायरेक्टर डॉ प्रिया अब्राहम के मुताबिक, डेल्टा 130 से ज्यादा देशों में फैला है। उन्होंने कहा, ‘हमने NIV में वैक्सीनेटेड लोगों में बनी ऐंटीबॉडीज पर स्टडीज की है और इस वेरिएंट के खिलाफ चेक किया है। हमें पता चला कि डेल्टा के खिलाफ एंटीबॉडीज की एफेकसी दो से तीन गुना कम हो जाती हैं। फिर भी वैक्सीन वेरिएंट्स के प्रति सुरक्षा देती हैं।
टीकाकरण से कम होता है मौत का खतरा
स्टडी में एक बात फिर से पुष्ट हो गई कि वैक्सीन भले ही संक्रमण से न बचा सके, मगर जिंदगी जरूरत बचा सकती है। गंभीर बीमारी और मृत्यु का खतरा फुली वैक्सीनेटेड लोगों में कम मिला। रिपोर्ट के अनुसार, ‘फुली वैक्सीनेटेड ग्रुप में एक भी मौत नहीं हुई जबकि तीन पार्शियली वैक्सीनेटेड और सात अनवैक्सीनेटेड मरीजों की मौत हो गई।’