1989 में रामेश्वर प्रसाद जीते थे
इससे पूर्व वर्ष 1989 के लोकसभा चुनाव में इंडियन पीपुल्स फ्रंट (IPF) के बैनर तले आरा संसदीय सीट से रामेश्वर प्रसाद चुनाव जीते थे। भाकपा माले पहले आईपीएफ के बैनर तले चुनाव लड़ते रहा है। इस चुनाव में आईपीएफ ने 10 प्रत्याशी उतारे लेकिन उसे केवल आरा सीट पर जीत मिली। आरा संसदीय सीट पर रामेश्वर प्रसाद ने जनता दल के तुलसी सिंह को पराजित किया था। कांग्रेस के दिग्गज बलिराम भगत तीसरे नंबर पर रहे थे।सुदामा प्रसाद का जीवन
वर्ष 1978 में सुदामा प्रसाद ने हर प्रसाद दास जैन स्कूल, आरा से मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद जैन कॉलेज आरा में नामांकन कराया, लेकिन 1982 में पढ़ाई बीच में ही छोड़कर वह भाकपा-माले के पूर्णकालिक कार्यकर्ता बन गए और सांस्कृतिक मोर्चे पर काम की शुरूआत की। युवा नीति के निर्देशन में उन्होंने सरकारी सांढ़, पत्ताखोर, कामधेनु, सिंहासन खाली करो जैसे नाटकों में जबरदस्त अभिनय किया। वर्ष 1979 से 83 तक सुदामा प्रसाद मूलतः सांस्कृतिक संगठन में सक्रियता के बाद वर्ष1984 में भोजपुर-रोहतास जिला के आइपीएफ के सचिव चुने गए और इसके बाद शुरू हुई संघर्षों की असली कहानी। वर्ष 1989 में उनके नेतृत्व में भोजपुर जगाओ-भोजपुर बचाओ आंदोलन काफी चर्चित रहा। इसके तहत सोन नहरों के आधुनिकीकरण, कदवन जलाशय का निर्माण, सोन एवं गंगा में पुल निर्माण, आरा-सासाराम बड़ी रेल लाइन का निर्माण सहित जमीन-मजदूरी के सवालों पर लंबा आंदोलन चलाया गया। आज उसी आंदोलन का नतीजा है कि सोन एवं गंगा नदी में पुल का निर्माण हो चुका है, आरा-सासाराम बड़ी रेल लाइन का निर्माण भी हो चुका है।
सुदामा प्रसाद ने वर्ष 1990 में आइपीएफ के बैनर से पहली बार आरा विधानसभा से चुनाव मैदान में ताल ठोका लेकिन जीत नहीं मिली। सुदामा प्रसाद ने 2015 के विधानसभा चुनाव में तरारी विधानसभा सीट पर पहली जीत हासिल की और फिर 2020 के चुनाव में भी इसी सीट पर सफलता हासिल की। वह बिहार विधानसभा में पुस्तकालय समिति के सभापति बनाए गए।