नशे की लत से निकलना मुश्किल
दरअसल, नशे के इस अंधे कुएं में ऐसे लोग भी पहुंच जा रहे हैं जो गांव से कुछ करने की तमन्ना लेकर राजधानी पटना पहुंचे थे। पटना के नशा मुक्ति केंद्रों में ऐसे कई लोग मिल जाएंगे, जिसे न चाहते हुए भी इसमें धकेला गया है। जब एक बार लत लग जाए तो फिर वहां से निकलना मुश्किल है।
अन्य नशीले पदार्थों की खपत
नशा मुक्ति केंद्र में ऐसे कई शिकार मिल जायेंगे जिनकी आयु 14 से 18 साल के बीच हैं। एक छात्र के रूप में कोरियर बनने पहुंचा 15 वर्षीय छात्र ने शुरू में तो सिगरेट के कस लगाने से शुरुआत की, फिर इसी सिगरेट में गांजा की लत लग गई। इस दौरान कई दोस्त बन गए और फिर स्मैक की पुड़िया इसके हाथों तक पहुंचने लगी। जब तक परिजनों को पता चलता तब तक काफी देर हो गई थी।
गांव तक पहुंच रही ‘नशे की पुड़िया’
यह कोई एक छात्र नहीं है जिसकी कहानी ऐसी है। कई लड़कियां भी ऐसे गिरोह के चंगुल में फंस चुकी हैं। बताया जाता है कि गांव-गली नशे के धंधेबाजों ने अब इसमें महिलाओं को शामिल कर लिया है। ऐसी अधिकांश महिलाएं झोपड़पट्टी और मलिन बस्तियों में रहती हैं। इन बस्तियों में नशे का बाजार लगता है। अव्वल तो दृष्टि में आती ही नहीं, पुलिस ने छापा मारा भी तो महिला होने के नाते बच निकलने की पूरी संभावना होती है।
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48.785 किग्रा गांजा, 1836 ग्राम स्मैक, 8022 इंजेक्शन जब्त
पुलिस के आंकड़ों पर गौर करें तो नशे के विरुद्ध पटना पुलिस ने पूर्वी क्षेत्रों में जनवरी 2023 से दिसंबर तक 50 से अधिक मामले दर्ज किए है जिसमें 110 से अधिक लोगों की गिरफ्तारी ही है। इसमें 48.785 किलोग्राम गांजा, 1836 ग्राम स्मैक, 8022 इंजेक्शन, 45.25 ग्राम अफीम, 321 शीशी कफ सीरप जब्त किया गया है।