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Cloudburst : ये मत सोचिए कि काम कर लो तो मौत नहीं आती, अगर आ… कल्पना ने डाली थी Instagram रील, दो बच्चों के साथ बाढ़ में बह गई

Cloudburst in Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले का पूरा समेज गांव बादल फटने की घटना के चलते बह गया। तीन दिन बीत जाने के बाद भी 36 लोग लापता हैं।

शिमलाAug 03, 2024 / 04:04 pm

स्वतंत्र मिश्र

Cloudburst in Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश के समेज गांव की कल्पना ने हादसे की रात से एक रोज पहले इंस्टा पर एक रील डाली और उसमें कहा – “ये मत सोचिए कि काम कर लेने से मौत नहीं आती.. अगर, अगर आ गई तो… मैं इतना बड़ा रिस्क कैसे ले लूं अपनी जान के साथ… अगर मैंने काम किया और मौत आ गई तो फिर…मैंने तो अभी जिंदगी में कुछ भी नहीं देखा अभी तो…” इस रील के इंस्टाग्राम पर पोस्ट करने के कुछ घंटों के बाद कल्पना केदारटा (Kalpana Kedarata) अपने दो बच्चों के साथ बादल फटने से आई बढ़ में बह गई। इस परिवार में सिर्फ कल्पना का पति ही जिंदा बच पाया। तीन दिन बीत जाने के बाद भी ना कल्पना और ना ही बच्चों की कोई खोज खबर मिल पाई है। आपको बता दूं कि हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले का रामपुर का समेज (Entire Samej village wash away after cloudburst incident in Shimla District) गांव 31 जुलाई 2024 की रात पूरा का पूरा बह गया। इस गांव में सिर्फ एक घर ही बच पाया। इस गांव के 36 लोग लापता हो गए।

पथराई आंखे कह रही हैं बर्बाद गांव की कहानी

हिमाचल प्रदेश में साल दर साल बाढ़ और बादल फटने की घटना ज्यादा कहर बरपाने लगी है। प्रदेश के शिमला जिले के रामपुर के समेज गांव में बादल फटने की घटना के बाद तो सबकुछ ऐसे बह गया मानो महाबली मनुष्य प्रकृति के आगे कुछ भी नहीं है। रात को जब पूरा गांव सो रहा था तब बादल फटने की घटना घटी और घाटी में चारों ओर चीख, पुकार मच गई लेकिन पूरे गांव में एक ही घर बचा। गांव में इस दर्दनाक मंजर को अनिता ने अपनी नंगी आंखों से देखा। हादसे की स्याह रात उसने काली माता मंदिर में किसी तरह बिताई। इस गांव के एक के बाद एक परिवार के बर्बाद हो जाने के किस्से कांपती जुबान से सुनाए जा रहे हैं।
कल्पना बह गई।

अगले ही दिन दूसरी जगह शिफ्ट होने वाली थी कल्पना

कल्पना केदारटा की उम्र महज 34 वर्ष थी। उसके साथ बह गई बेटी अक्षिता की उम्र 7 वर्ष बौर बेटा अद्विक सिर्फ 4 वर्ष का था। कल्पना एक पावर प्रोजेक्ट में अकाउंटेंट का काम करती थी। कल्पना का ट्रांसफर झाखड़ी हो गया था और वह अगले दिन वहां शिफ्ट होने वाली थी। इस परिवार में अब कल्पना के पति जय सिंह ही बचे हैं। वह लगातार रोते हुए बेसुध हो जाते हैं। इस गांव के साथ 25 परिवारों के लोग लापता हो गए। अब लोग आकाश को देखकर उम्मीद बांधते हैं लेकिन पलक झपकते ही निराशा का भंवर में गोते लगाने लगते हैं। रोते, बिलखते गांव में बचे चंद लोग और पड़ोस के गांवों के लोगों का बुरा हाल हो चला है। हर मनुष्य के कान, आंख बस एक ही बात सुनना और देखना चाहते हैं- कहां गए मेरे लोग। उनकी आत्मा बिना शोर मचाए अपने लोगों को लौट आने की आवाज लगा रहे हैं।
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