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Chandrayaan-3 first anniversary: चंद्रयान-4 की डिजाइनिंग पूरी, कौन से मिशन लॉन्च करने की योजना, जानिए यहां

चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग में चूक का अध्ययन करने के बाद Chandrayaan-3 की डिजाइनिंग शुरू की गई इसलिए यह यह सटीक और शानदार रहा।

नई दिल्लीJul 14, 2024 / 10:46 am

स्वतंत्र मिश्र

Chandrayan 3

Chandrayaan- 3 Launching anniversary: ISRO के अध्यक्ष सोमनाथ (ISRO chairman S. Somnath) ने बताया कि14 जुलाई 2023 मेरे लिए काफी यादगार दिन है। हमने एलवीएम-3 रॉकेट (LVM-3 Rocket) से चंद्रयान-3 को लॉन्च किया और 23 अगस्त को चंद्रमा पर सफलतापूर्वक लैंड हुए। चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) में रही चूक का अध्ययन करने के बाद चंद्रयान-3 की डिजाइनिंग शुरू हुई और यही वजह है कि इसमे एक साल और लग गए। फिर एक साल तक परीक्षणों का दौर चलता रहे। पहले हमने जनवरी 2023 में मिशन लॉन्च करने की योजना बनाई थी लेकिन जब तैयारियों की समीक्षा की तो लगा कि चार से पांच टेस्ट और होने चाहिए। अंतत: 14 जुलाई को हमने मिशन लॉन्च किया। प्रक्षेपण बिल्कुल सटीक और शानदार रहा।

Chandrayaan-3 की ऐसे तय हुई 23 अगस्त की लैंडिंग

हमने चंद्रयान-3 की लैंडिंग के लिए 23 अगस्त 2023 का दिन चुना था। उस समय धरती से चंद्रमा के लैंडिंग स्थल की विजिबिलिटी काफी अच्छी थी। हमारे ग्राउंड स्टेशन डीप स्पेस नेटवर्क के अलावा ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के ग्राउंड स्टेशनों से भी लैंडिंग स्थल सीध में था लेकिन हम चाहते थे कि जब चंद्रमा पर लैंडिंग हो तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) हमारे बीच मौजूद रहें। प्रधानमंत्री उस समय दक्षिण अफ्रीका दौरे पर थे। इसलिए, एक बार लैंडिंग कुछ दिनों के लिए स्थगित करने का विचार भी आया लेकिन प्रधानमंत्री से बात की तो वे 23 अगस्त को लैंडिंग के समय ऑनलाइन जुडऩे पर सहमत हो गए।

ईंधन का अनुमान लगाकर होप टेस्ट किया

चंद्रमा पर लैंडिंग के बाद मुख्य रूप से पांच प्रयोग करने का लक्ष्य था। बाद में विक्रम लैंडर (Vikram Lander) का हॉप टेस्ट किया और प्रोपल्शन मॉड्यूल को रिवर्स नेविगेशन के जरिए चंद्रमा की कक्षा से वापस धरती की कक्षा में लाए। ये दोनों प्रयोग शुरू में हमारी योजना का हिस्सा नहीं थे। जब लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान के स्लिप मोड में जाने का समय आया तो हमने सोचा कि ऐसा क्या कर सकते हैं जो हमारे अगले चंद्रयान मिशन में काम आ सके। लैंडर में बचे ईंधन का अनुमान लगाया और अंतत: होप टेस्ट सफल रहा। हमें काफी मूल्यवान आंकड़े मिले जो आगामी मिशनों के लिए बेहद उपयोगी साबित होंगे।

जारी रहेगी चंद्रयान शृंखला, मंगल पर लैंडिंग की योजना भी

अभी हमारे कई वैज्ञानिक मिशन ऑपरेशनल हैं। आदित्य एल-1 (Aditya L-1) ने हैलो आर्बिट में अभी एक फेरा पूरा किया है। सारे उपकरण अच्छा काम कर रहे हैं। चंद्रयान-2 से भी हमें आंकड़े मिल रहे हैं। भविष्य में हमारी योजना चंद्रयान शृंखला को जारी रखने की है। चंद्रयान-4 की डिजाइनिंग अभी पूरी हुई है। उसके बाद के चंद्रयान मिशनों पर अभी चर्चा हो रही है। हम जापान के साथ चंद्रमा पर एक लुपेक्स मिशन भी भेंजेंगे। यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड होगा। इसके अलावा दूसरे मार्स लैंडिंग मिशन की योजना पर भी चल रहे हैं। उपग्रह का डिजाइन अभी तैयार नहीं है लेकिन, विचार-विमर्श चल रहा है। एक टेलीस्कोपी और एरोनोमी मिशन भी लांच करने की योजना है।
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