जम्मू-कश्मीर से धारा-370 को हटाने के केंद्र के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कुल 22 याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की संवैधानिक पीठ ने अपना फैसला एक मत से सुनाया। फैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि जम्मू-कश्मीर धारा-370 अस्थायी व्यवस्था है। इसे राष्ट्रपति के आदेश से हटाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट फैसले को चुनौती नहीं दे सकते।
राष्ट्रपति शासन के दौरान केंद्र को फैसला लेने का अधिकार
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला करते हुए कहा कि राष्ट्रपति शासन के दौरान केंद्र को सरकार किसी भी प्रकार का उचित फैसला लेने का अधिकार है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि 370 के खत्म होने से जम्मू-कश्मीर को देश के साथ जोड़ने की प्रक्रिया और मजबूत हुई है। वहीं आज राज्यसभा में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) बिल 2023 और जम्मू-कश्मीर आरक्षण अधिनियम (संशोधन) बिल 2023 पेश करेंगे, ये दोनों बिल लोकसभा में पहले ही पास हो चुके हैं।
विलय के साथ जम्मू-कश्मीर की संप्रुभता खत्म
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि विलय के साथ जम्मू-कश्मीर की संप्रुभता खत्म हो गई। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संवैधानिक तरीके से हटाना बिल्कुल सही फैसला है।
जम्मू-कश्मीर को जल्दी राज्य का दर्जा वापस दे केंद्र
वहीं, जम्मू-कश्मीर को वापस राज्य का दर्जा देने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें सॉलिस्टर जनरल की तरफ से बताया गया है कि केंद्र जल्द ही जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस दे। इसके लिए केंद्र सरकार जल्द से जल्द कदम उठाए।
नए परिसीमन के तहत चुनाव हो
सीजेआई ने कहा कि राष्ट्रपति के लिए जरूरी नहीं कि जम्मू-कश्मीर संविधान सभा की सिफारिश पर ही 370 पर कोई आदेश जारी करें।
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