केंद्र की सत्ता पर काबीज भारतीय जनता पार्टी की नरेंद्र मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव से ऐन पहले सोमवार देर शाम नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) लागू कर दिया। केंद्र की तरफ से CAA को लेकर नोटिफिकेशन जारी करने के बाद जहां कई राज्यों ने इसका स्वागत किया तो वहीं, बंगाल सहित कई राज्यों ने इसका खुलकर विरोध किया। इन्हीं राज्यों में से एक तमिलनाडु भी है जिसने CAA का खुलकर विरोध किया है। सूबे के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने मंगलवार को साफ तौर पर कहा कि वो किसी भी हाल में तमिलनाडु में इस कानून को लागू नहीं करेंगे।
डूबते जहाज को बचाने की कोशिश
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लेकर बड़ा ऐलान किया है। मंगलवार को उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में सीएए लागू नहीं होगा। हमारी सरकार राज्य में CAA को लागू नहीं करने वाली है। स्टालिन ने कहा, ‘भाजपा सरकार के विभाजनकारी एजेंडे ने नागरिकता अधिनियम को हथियार बना दिया है, इसे मानवता के प्रतीक से धर्म और नस्ल के आधार पर भेदभाव के उपकरण में बदल दिया है।’ इससे पहले जब सोमवार को इस कानून को लागू किया तो स्टालिन ने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजनीतिक लाभ हासिल करने के प्रयास में लोकसभा चुनाव से पहले CAA के नियमों को अधिसूचित कर रहे हैं। इसके जरिए वह अपने डूबते जहाज को बचाने की कोशिश में हैं।
अन्नाद्रमुक विरोध करेगी
वहीं, सीएए का कानून लागू होने के बाद कभी एनडीए का हिस्सा रही ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) ने भी इसका विरोध किया है। पार्टी महासचिव एके पलानीस्वामी ने नागरिकता CAA के लागू होने की आलोचना की और कहा कि केंद्र सरकार ने इसके कार्यान्वयन के साथ ऐतिहासिक भूल की है। अन्नाद्रमुक इसे स्वदेशी लोगों – मुसलमानों और श्रीलंकाई तमिलों के खिलाफ लागू करने के किसी भी प्रयास की अनुमति नहीं देगी। अन्नाद्रमुक देश के लोगों के साथ मिलकर लोकतांत्रिक तरीके से इसका विरोध करेगी।’
गैर-मुस्लिम प्रवासियों को मिलेगी नागरिकता
बता दें कि नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों- हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारत की नागरिकता प्रदान करने की अनुमति देता है। केंद्र की ओर से सोमवार को सीएए के नियमों को अधिसूचित किया गया।