गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव से पहले ही सीएए को अधिसूचित करने की सुगबुगाहट चल रही है। इससे मुस्लिमों को बाहर रखा गया है। यही वजह है कि इसे लेकर बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो चुका है। मुस्लिमों को इस कानून के दायरे से बाहर रखने के लिए अलोचना भी होती है। इसके साथ ही एनआरसी भी लागू करने की योजना थी।
ऑनलाइन पोर्टल तैयार
एक अधिकारी ने कहा था कि लोकसभा चुनाव से पहले इसे लागू किया जा सकता है। इसके नियम भी जल्द जारी किए जाएंगे। बजट सत्र में केंद्र सरकार इस कानून से संबंधित नियम संसद में प्रस्तुत कर सकती है। ऑनलाइन पोर्टल तैयार किया गया है और इसकी प्रक्रिया भी ऑनलाइन होगी। इसमें कानूनी बदलाव लाकर 2014 की कट-ऑफ को बढ़ाया भी जा सकता है। आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद ये नहीं हो पाएगा ऐसे में इसे जल्दी लागू करने की तैयारी है। इसके लिए बजट सत्र ही एक मात्र रास्ता फिलहाल है।
बंगाल नहीं पूरा देश
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वह गांरटी देते हैं कि सात दिनों के अंदर बंगाल ही नहीं बल्कि पूरे देश में सीएए लागू कर दिया जाएगा। पश्चिम बंगाल के बनगांव से भाजपा सांसद ठाकुर ने बयान में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की बात दोहराई है। इससे राजनीतिक उथल-पुथल बढ़ सकती है। गौरतलब है कि ममता बनर्जी सरकार ने 2020 में प्रस्ताव पारित किया था। उन्होंने कहा था कि पश्चिम बंगाल में सीएए (CAA), राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) लागू नहीं होने देंगे।
नागरिकता संशोधन कानून क्या है?
2019 में संसद से सीएए कानून पारित कराया गया था। इसमें पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाईयों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। इसके तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आने वाले इस समुदाय के लोगों को तुरंत नागरिकता दे दी जाएगी। इसके बाद आने वाले लोगों को छह साल भारत में रहने के बाद नागरिकता दी जाएगी।