विशेषज्ञों का कहना है कि आरबीआई की ओर से सरकार को रिकॉर्ड 2.11 लाख करोड़ रुपए लाभांश मिलने और जबरदस्त टैक्स कलेक्शन से इस बार सभी सेक्टर्र्स के लिए फील गुड बजट पेश हो सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार न्यू टैक्स रिजीम को और आकर्षक बनाने की तैयारी में है। सरकार ने नई आयकर व्यवस्था को सरल और नौकरीपेशा लोगों के लिए अधिक आकर्षक बनाने के लिए उसमें बदलाव करने की कवायद शुरू कर दी है। इसके लिए टैक्स स्लैब के साथ दरों में भी बदलाव पर विचार किया जा रहा है।
टैक्स छूट की सीमा हो सकती है क्र5 लाख
केंद्र सरकार मध्यम वर्ग को राहत देने के लिए टैक्स स्लैब को लेकर बजट में बड़ा ऐलान कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक सरकार टैक्स में छूट की सीमा को 3 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख करने का विचार कर रही है। वहीं वित्त मंत्रालय न्यू टैक्स रिजीम के तहत मिलने वाली स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट बढ़ाने का विचार कर रहा है, जो अभी 50,000 रुपए है। हालांकि ओल्ड टैक्स रिजीम में किसी तरह के बदलाव की उम्मीद नहीं है।
कैपिटल गेन्स में बदलाव की उम्मीद नहीं
ईवाई में पार्टनर सुधीर कपाडिय़ा ने कहा, सरकार को न्यू टैक्स रिजीम में भी होम लोन, स्वास्थ्य बीमा और पेंशन के लिए कुछ कटौती का प्रावधान करना चाहिए। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कैपिटल गेन टैक्स सिस्टम में बड़े बदलाव की संभावना नहीं है। हालांकि इस मुद्दे पर आयकर विभाग समीक्षा की मांग कर रहा है। अलग-अलग ऐसेट क्लास में होल्डिंग अवधि को सरल करने के सुझाव दिए गए हैं, लेकिन सरकार फिलहाल इस सिस्टम को बदलने की इच्छुक नहीं है।
रोजगार पर फोकस
इस बार बजट में मध्यम वर्ग और रोजगार पर फोकस होने की उम्मीद है। इसके दो खास वजह है। पहला- अगले एक साल के भीतर चार राज्यों महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और जम्मू व कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे भाजपा के लिए काफी अहम होने वाले हैं। रोजगार बढ़ाने के लिए पीएलआइ स्कीम का दायरा बढ़ाते हुए खिलौना, फर्नीचर जैसे क्षेत्रें को इसमें शामिल किया जा सकता है। टूरिज्म जैसे सर्विस सेक्टर और छोटे और मझौले शहरों में स्टार्टअप को बढ़ावा देने पर फोकस हो सकता है।
क्या है सैलरीड क्लास की पुकार
80सी: सैलरीड क्लास और विशेषज्ञों की मांग है कि इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी के तहत मिलने वाले टैक्स छूट की लिमिट को 1.50 लाख से बढ़ाकर 2 लाख रुपए किया जाना चाहिए। बीमा छूट: विशेषज्ञों की मांग है कि हेल्थ इंश्योरेंस के लिए मिलने वाली टैक्स छूट 80सी के अतिरिक्त होनी चाहिए। इससे अधिक लोग स्वास्थ्य बीमा कराने के लिए प्रेकित होंगे और नौकरीपेशा लोगों को फायदा होगा।
म्यूचुअल फंड्स की मांग
एक जैसा टैक्स: एम्फी ने कहा, एक जैसे प्रोडक्ट पर एक जैसा टैक्स लागू किया जाए। अभी ईएलएसएस के अलावा इंश्योरेंस, पेंशन फंड, एनपीएस पर टैक्स छूट मिलता है। टैक्स छूट के चलते ही यूलिप में निवेश बढ़ रहा है। ऐसे में म्यूचुअल फंड की उन स्कीम पर भी टैक्स छूट मिलने चाहिए जो रिटायरमेंट या इंश्योरेंस प्रोडक्ट की तरह हैं। डेट लिंक्ड सेविंग स्कीम: म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की डिमांड है कि ईएलएसएस की तरह ही डेट लिंक्ड सेविंग स्कीम होनी चाहिए। डेट स्कीम पर फिक्स्ड इनकम स्कीम के मुकाबले बेहतर रिटर्न बेहतर मिल रहा है। ऐसे में डेट लिंक्ड सेविंग स्कीम होने से उनमें निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ेगी।