22 में बढ़ा कद 24 में मिला मंत्री पद 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करने पर रालोद ने आठ सीटें जीती। इसके बाद खतौली उपचुनाव में भी जीत कर अपनी संख्या बढ़ा ली। अब भाजपा के साथ गठबंधन करने से दोनों दलों को फायदा मिला है। जयंत ने न सिर्फ दो सीटें जीती, बल्कि भाजपा की कई जाट बहुल इलाकों में वोट भी ट्रांसफर करवाए। मथुरा, मेरठ दोनों जगह उन्होंने खूब मेहनत की। इसके साथ ही रालोद के प्रभाव वाली फतेहपुर सीकरी, बिजनौर, अमरोहा, हाथरस, अलीगढ़, पीलीभीत, बरेली सीट भाजपा जीतने में सफल रही। हालांकि मुजफ्फरनगर में भी जयंत ने पूरी ताकत लगाई, लेकिन दोनों तरफ जाट नेता बहुत मजबूत थे। इस कारण भाजपा को कामयाबी नहीं मिल सकी।
पुराने छत्रपों के एकाधिकार को तोड़ने की कोशिश भाजपा के एक बड़े नेता ने बताया कि लोकसभा चुनाव में देखने को मिला है कि पुराने और स्थापित जाट नेता एकक्षत्र राज के चक्कर में आपस में विवाद कर रहे हैं। जिसका नुकसान पार्टी को हुआ। उससे प्रभावित कई सीटें भाजपा को नुकसान दे गई। पार्टी अब समझ चुकी है। इसी कारण अब जयंत को आगे किया गया है। उन्हें भाजपा के जीते सांसदों से ज्यादा तवज्जो दी गई। उनका लाभ आने वाले विधानसभा या अन्य जातिगत समीकरण को ठीक करने में काम आयेगा।
हरियाणा विधानसभा चुनाव में दिखेगा असर वरिष्ठ पत्रकार वीरेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि भाजपा को जयंत का साथ मिलना फायदा देता दिख रहा है। इस कारण उन्हें खूब तवज्जो भी मिल रही है। जयंत ने न सिर्फ लोकसभा हारे जिलों में भाजपा के लिए सफलता के झंडे गाड़े, बल्कि अपने जाट वोटों पर मजबूत पकड़ का उदाहरण पेश किया। उन्होंने बताया जयंत के माध्यम से नाराज किसानों को अपने पाले में लाने का प्रयास सरकार करेगी। भाजपा हरियाणा और 2027 में होने होने वाले चुनाव के लिए इनके चेहरे का इस्तेमाल कर सकती है।