पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव को लोकसभा चुनाव 2024 का विधानसभा चुनाव माना जा रहा था। कांग्रेस के साथ ही विपक्ष को लग रहा था कि इन चुनावों में कांग्रेस भारतीय जनता पार्टी को कड़ी टक्कर देगी। लेकिन जब चुनाव के नतीजे आए तो न सिर्फ कांग्रेस बल्कि विपक्ष को ही 440 वोल्ट का झटका लग गया। कांग्रेस हिंदी पट्टी के तीनों राज्यों, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बुरी तरह से न सिर्फ हारी बल्कि हिमाचल जैसे छोटे राज्य को छोड़ दे तो उसके पास हिंदी बेल्ट का कोई राज्य नहीं बचा। वहीं, लोकसभा चुनाव में भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी को चुनौती देने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना से कलकत्ता और दिल्ली से चेन्नई एक कर दिया था।
अलग-अलग विचारधारा वाली पार्टियों को पहले एक मंच पर लाना हो या फिर बैठक की अगुवाई करना हो सब किया। लेकिन पहली बैठक से ही कांग्रेस ने एक तरह से गठबंधन को लीड करना शुरु कर दिया। इससे गठबंधन के कई नेता नाराज भी दिखें। वहीं, पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बाद विपक्ष ने एक तरह से कांग्रेस को बैकफुट पर लाने का काम शुरु कर दिया है।
PM मोदी के गढ़ से कांग्रेस को झटका देने की तैयारी
लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कांग्रेस को तगड़ा झटका देने की तैयारी में हैं। बता दे कि नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाईटेड ने प्रचार की शंखनाद के लिए दो पड़ोसी राज्यों उत्तर प्रदेश और झारखंड को चुना है। सीएम नीतीश कुमार पहली रैली 24 दिसंबर को वाराणसी (उत्तर प्रदेश) और दूसरी रैली 21 जनवरी को हजारीबाग (झारखंड) में करेंगे। इसे लेकर जेडीयू ने तैयारियां शुरू कर दी हैं।
कांग्रेस के लिए झटका कैसे
जेडीयू के इस कदम को राजनीति के जानकार INDIA गठबंधन और कांग्रेस के लिए बड़ा झटका मान रहे हैं। दरअसल, वाराणसी में पड़ने वाली पिंडरा विधानसभा इस समय यूपी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय की कर्म भूमी है। वो यहां से कई बार विधायक और मंत्री रहे हैं। लेकिन पहले बागेश्वर के उपचुनाव और फिर मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन में शामिल समाजवादी पार्टी को आश्वासन देने के बाद भी चुनाव में अपने साथ शामिल नहीं किया।
इससे सपा के साथ ही जेडीयू भी नाराज बताई जा रही है। वहीं, नीतीश के करीबीयों का मानना है कि अगर चुनाव से पहले कांग्रेस का यह रवैया है और अगर INDIA गठबंधन चुनाव जीत जाता है तो नीतीश के प्रधानमंत्री बनने पर अड़चने खड़ी हो सकती है। ऐसे में नीतीश वाराणसी में चुनावी शंखनाद करके कांग्रेस को यह बताना चाहते है कि कहीं न कहीं वह उत्तर भारत में कांग्रेस से ज्यादा स्वीकार्य नेता हैं।
गठबंधन का नेता बनना चाहते है नीतीश
नीतीश की रैली के कार्यक्रम सामने आने के बाद अब ये चर्चा भी शुरू हो गई है कि क्या बिहार के सीएम ही पीएम के लिए विपक्षी गठबंधन का चेहरा होंगे? ताजा सियासी हालात, टीएमसी-सपा जैसे दलों की कांग्रेस को लेकर नाराजगी, हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में कांग्रेस की हार के बाद उसकी स्वीकार्यता को लेकर उठ रहे सवाल और अब नीतीश कुमार की रणनीति, ये सभी बातें इस चर्चा को और हवा दे रही हैं।
दरअसल, नीतीश कुमार ने 2024 की चुनावी जंग के लिए अपने नेशनल कैंपेन का शंखनाद करने के लिए उत्तर प्रदेश के जिस शहर को चुनाव है, वह है वाराणसी. वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निर्वाचन क्षेत्र भी है। पीएम मोदी 2014 और 2019, दोनों ही चुनाव में वाराणसी सीट से बड़ी जीत दर्ज कर संसद पहुंचे। ऐसे में नीतीश के पीएम मोदी के निर्वाचन क्षेत्र से चुनावी हुंकार भरने को राष्ट्रीय स्तर पर मैसेज देने की रणनीति से जोड़कर देखा ही जा रहा है, इंडिया गठबंधन में कांग्रेस के लिए भी बड़ा संदेश माना जा रहा है।