दोनों सांसद शपथ तो लेंगे लेकिन…
यह लोकसभा चुनाव का एक अनोखा उदाहरण है कि दो लोग जेल में बंद रहते हुए भी चुनाव जीत गए। अमृतपाल सिंह पंजाब के खडूर साहिब और इंजीनियर शेख अब्दुल रशीद ने बारामूला से जीत हासिल की है। दोनों ही सांसदों को शपथ तो दिलाया जा सकता है लेकिन उन्हें संसद की कार्यवाही में भाग लेने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। ये दोनों ही सांसद जेल में आतंकवाद के आरोप में बंद हैं। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या उन्हें पद की शपथ दिलाई जाएगी और क्या वे संसद सत्र में भाग ले पाएंगे?
राशिद दिल्ली और अमृतपाल असम की जेल में हैं बंद
Rashid is in Tihar Jail: इंजिनीयर राशिद पर आतंकवाद को वित्तीय तौर पोषित करने का आरोप है। राशिद 9 अगस्त, 2019 से तिहाड़ जेल में बंद हैं। वहीं अमृतपाल सिंह पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत आरोप लगाया गया है और वह असम की डिब्रूगढ़ जेल (Amritpal Singh in Assam Jail) में हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या वे शपथ ले सकते हैं? लोकसभा चुनाव जीतने के बाद जेल में बंद सांसदों को शपथ समारोह में शामिल हो सकते हैं?
शपथ लेने के लिए करना होगा ये काम
इंडिया टुडे से बातचीत करते हुए संविधान विशेषज्ञ और पूर्व लोकसभा महासचिव पीडीटी अचारी ने कहा कि चुनाव जीतने के बाद शपथ लेना संवैधानिक अधिकार है लेकिन अगर जीतने वाला उम्मीदवार जेल में है तो उन्हें जेल अधिकारियों से शपथ ग्रहण समारोह के लिए संसद में ले जाने के लिए कहना होगा। शपथ लेने के बाद उन्हें फिर से जेल वापस लौटना होगा।
क्या कहता है अनुच्छेद 101 (4)?
अचारी ने संविधान के अनुच्छेद 101 (4) का हवाला दिया जिसमें अध्यक्ष की जानकारी के बिना दोनों सदनों से सांसदों की अनुपस्थिति शामिल है। उनके शपथ समारोह के बाद सदन से उनकी अनुपस्थिति के बारे में अध्यक्ष को सूचित किया जाएगा। इसके बाद स्पीकर सदस्यों की अनुपस्थिति पर सदन समिति को सदन में भाग लेने में उनकी असमर्थता के बारे में सूचित करेंगे।
जेल की सजा हुई तो खो देंगे सदस्यता
उन्होंने कहा कि संसदीय समिति सिफारिश करती है कि क्या सांसद को सदन की कार्यवाही में भाग नहीं लेने की अनुमति दी जानी चाहिए? इसके बाद उनकी इस सिफ़ारिश को आगे बढ़ाया जाएगा और अध्यक्ष द्वारा सदन में मतदान के लिए रखा जाएगा। यदि इंजीनियर रशीद या अमृतपाल सिंह को दोषी ठहराया जाता है और दो साल की भी जेल होती है तो वे लोकसभा में अपनी सीटें खो देंगे। सुप्रीम कोर्ट 2013 के एक फैसले में यह कहा गया था कि ऐसे सांसद और विधायक अयोग्य होंगे।