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AK-203 Rifle: सीमा पर तैनात जवानों तक पहुंचीं ‘मेक इन इंडिया’ एके 203 असॉल्ट राइफलें, जानिए इनकी खासियत

AK-203 Rifle: पाटन के मेजर जनरल सुधीर शर्मा द्वारा बनाई जा रही 35000 एके 203 असॉल्ट राइफलें सीमावर्ती इलाकों में भारतीय सेना के जवानों के हाथों में पहुंच गई हैं।

नई दिल्लीSep 25, 2024 / 03:18 pm

Shaitan Prajapat

AK-203 Rifle: पाटन के मेजर जनरल सुधीर शर्मा द्वारा बनाई जा रही 35000 एके 203 असॉल्ट राइफलें सीमावर्ती इलाकों में भारतीय सेना के जवानों के हाथों में पहुंच गई हैं। दिसंबर 2024 तक सेना को 20000 और राइफलें मिलेंगी। शर्मा को एक गहन चयन प्रक्रिया के बाद अगस्त 2023 से भारत सरकार द्वारा इंडो रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ और एमडी के रूप में नियुक्त किया गया है। यह रक्षा मंत्रालय के तहत एक संवेदनशील और रणनीतिक परियोजना है। इस कंपनी के पास रूस की कलाश्निकोव कंपनी से प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के साथ भारत में 601427 एके 203 राइफल बनाने का ऑर्डर है।

दूसरे देशों को भी किया जाएगा निर्यात

एके 203 का उत्पादन संयंत्र उत्तरप्रदेश के अमेठी में है। एक वर्ष में फैक्ट्री हर दिन 600 से ज्यादा राइफलें बनाने में सक्षम होगी। इन्हें मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के तहत मित्र विदेशी देशों में भी निर्यात किया जाएगा।

सर्वश्रेष्ठ एसॉल्ट राइफल में से एक

एके 203 दुनिया की सर्वश्रेष्ठ असॉल्ट राइफलों में से एक हैं। 800 मीटर की रेंज और 700 राउंड प्रति मिनट की फायरिंग दर के साथ, यह आतंक विरोधी और पारंपरिक ऑपरेशन दोनों में देश के दुश्मनों के लिए एक घातक हथियार होगा।

AK-203 असॉल्ट राइफल की मुख्य खासियतें

AK-203 असॉल्ट राइफल भारतीय सुरक्षा बलों के लिए निर्मित एक अत्याधुनिक राइफल है, जो भारत और रूस के संयुक्त प्रयास से बनाई जा रही है। यह AK-47 की नई और उन्नत वर्जन है, जिसे सुरक्षा बलों की बदलती जरूरतों को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है। आइए इसके प्रमुख फीचर्स और खासियतों पर नजर डालते हैं…
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उन्नत तकनीक

AK-203 को आधुनिक युद्ध की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है। यह AK-47 की मजबूती और सरलता के साथ उन्नत तकनीक का मेल है।

कैलिबर (गोली का आकार)

यह 7.62×39 मिमी कैलिबर की गोलियों का इस्तेमाल करती है, जो इसे भारी मारक क्षमता और बेहतर प्रभावशाली रेंज प्रदान करती हैं।

रेंज और सटीकता

AK-203 की प्रभावी फायरिंग रेंज लगभग 400 मीटर है। यह युद्ध के मैदान में बेहतर सटीकता के लिए जाना जाता है।

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वजन और आकार

यह राइफल हल्की है, जिससे इसे लंबे समय तक आराम से इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका वजन करीब 3.8 किलोग्राम है, जो सैनिकों को इसे आसानी से ले जाने और इस्तेमाल करने में मदद करता है।

अत्यधिक टिकाऊ

AK-203 को कठोर परिस्थितियों में भी प्रभावी ढंग से काम करने के लिए बनाया गया है। चाहे धूल, कीचड़, या पानी हो, यह राइफल सभी परिस्थितियों में काम करती है।

ऑपरेटिंग सिस्टम

यह गैस-ऑपरेटेड, रोटेटिंग बोल्ट सिस्टम पर आधारित है, जो इसे विश्वसनीय बनाता है और इसमें जामिंग की संभावना बहुत कम होती है।

स्वचालित और अर्ध-स्वचालित मोड

AK-203 में स्वचालित और अर्ध-स्वचालित फायरिंग मोड होते हैं, जिससे सैनिक स्थिति के अनुसार फायरिंग का चयन कर सकते हैं।

निर्माण और उत्पादन

AK-203 राइफलें उत्तर प्रदेश के अमेठी में स्थित ‘इंडो-रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड’ नामक कंपनी द्वारा बनाई जा रही हैं। यह भारत और रूस का संयुक्त उपक्रम है। इसका निर्माण ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत किया जा रहा है, जिससे भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता में वृद्धि हो रही है।

बेहतर एर्गोनॉमिक्स

AK-203 को उपयोगकर्ता की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है। इसमें मॉड्यूलर पिकाटिनी रेल सिस्टम होता है, जिससे अतिरिक्त अटैचमेंट्स, जैसे ऑप्टिक्स, लेजर और ग्रिप्स आसानी से जोड़े जा सकते हैं।

AK-203 के फायदे

-लंबी उम्र और कम रखरखाव के साथ विश्वसनीयता।
-युद्ध में तेजी से प्रतिक्रिया और उच्च दक्षता।
-सभी प्रकार की जलवायु और युद्ध परिस्थितियों में बेहतर प्रदर्शन।

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