यह औषधीय पौधों से परिपूर्ण होता है। इसलिए इसे सुखाकर कैंसर रोग की दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इससे निकलने वाले पानी को पीने से थकान मिट जाती है, साथ ही पुरानी खांसी भी काबू हो जाती है।
यह फूल देवताओं का प्रिय फूल माता जाता है इसकी विशेषता यह है कि जब यह खिलता है तो इसमें ब्रह्म देव तथा त्रिशूल की आकृति बन कर उभर आती है। ब्रह्म कमल न तो खरीदा जाना चाहिए और न ही इसे बेचा जाता है। इस दुर्लभ पुष्प की प्राप्ति आसानी से नहीं होती। हिमालय में खिलने वाला यह पुष्प देवताओं के आशीर्वाद सरीखा है।
यह साल में एक बार जुलाई-सितंबर के बीच खिलता है और एक ही रात रहता है। इसका खिलना देर रात आरंभ होता है तथा दस से ग्यारह बजे तक यह पूरा खिल जाता है। मध्य रात्रि से इसका बंद होना शुरू हो जाता है और सुबह तक यह मुरझा जाता है।
बैतूल जिले के आठनेर के ग्राम सातनेर निवासी देवेंद्र धाकड़े के निवास पर आषाढी एकादशी सोमवार रात चार ब्रह्म कमल खिले। ब्रह्म कमल खिलने की सूचना मिलते धकड़ के घर लोगों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था जो मंगलवार को भी जारी रहा।