पद्मश्री हिम्मताराम भांभू से इस विषय पर बार नहीं है। तचीत हुई तो उन्होंने बताया कि भूभाग पर भूमाफियाओं की गिद्ध नजर लगी हुई है। राजकीय भूमि को विवादित बताया जा रहा है। विवादित है तो भी पेड़ों की देखभाल तो की ही जा सकती है। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने ही वहां पर साढ़े सात सौ पौधे लगाए गए थे। उस दौरान तो यह विवादित का विषय नहीं उठा था। इसे बाद में विवादित बना दिया गया। अब विवादित है तो, क्या हुआ। पेड़ों को तो संरक्षित किया ही जा सकता है। भांभू का कहना है कि इन पेड़ों को बेशकीमती जमीन के लालच में समाप्त करने का खेल चल रहा है। पेड़ों को बचाने के लिए वह फोटोग्राफ के साथ जिला कलक्टर से पूर्व में मिल चुके हैं, नगपरिषद से भी संपर्क कर पेड़ों को बचाए जाने का अनुरोध किया गया। इसके बाद भी इन पेड़ों को बचाने के लिए प्रशासनिक जिम्मेदारों की चुप्पी इनकी ही कार्यशैली व नीयत पर सवालिया निशान लगा देती है।
इनका कहना है…
खाली भूभाग पर लगे पेड़ों की स्थिति के साथ इसकी पूरी जांच करा ली जाएगी। जल्द ही जांच के बाद फिर इस संबंध में वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।
रामेश्वर गढ़वाल, तहसीलदार, नागौर