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नागौर

शहर बोला थैंक्यू ‘पत्रिका’ 10 साल से सुनै पड़े अस्पताल में बच्चों की किलकारियां गूंजी

नागौरJul 21, 2024 / 02:30 pm

चंद्रशेखर वर्मा

The city said thank you 'Patrika'; children's screams echoed in the hospital, which had been heard for 10 years.
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 पूर्व सांसद डॉ ज्योति मिर्धा  ने सेठ श्रीवल्लभ रामदेव पित्ती की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। पूर्व विधायक मोहनराम चौधरी, सभापति मीतू बोथरा भी उनके साथ मौजूद थे।
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आईसीयू में नवजात को संभालते चिकित्सक।
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ताकि सुकून मिले...
एसीएमएचओ डॉ शीशराम चौधरी ने बताया कि कोशिश की गई कि मरीज/नवजात को किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं आए। कुपोषित वार्ड में बच्चों के लिए जहां विभिन्न तरीके के पोस्टर सजाए गए, वहीं खेल-खिलौने भी उपलब्ध कराए जाएंगे। साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखा गया। अस्पताल का प्रवेश-निकास एक ही दरवाजे से होगा। बाहर पार्किंग के अलावा मरीजों के परिजनों के बैठने की व्यवस्था और की जा रही। डॉ चौधरी ने बताया कि ओपीडी में आए 122 में से छह बच्चों को भर्ती किया गया जबकि गायनी में 89 में से 18 को दाखिल किया गया।
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शहर बोला थैंक्यू ‘पत्रिका’
शहर के पुराने अस्पताल में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य केंद्र शिट करने का मुद्दा राजस्थान पत्रिका ने प्रमुखता से उठाया। सिलसिलेवार खबरें प्रकाशित कर मामला सरकार और जनप्रतिनिधियों के संज्ञान में लाए। पत्रिका की खबरों का ही परिणाम रहा कि चिकित्सालय में चहल-पहल शुरू हो गई। शनिवार को जब पुराने चिकित्सालय में किलकारियां गूंजी तो शहर के लोग पत्रिका को धन्यवाद देते नहीं थके।
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चार सीजेरियन तो तीन नॉर्मल..
डॉ गुलाब सिंह खुडख़ुडिय़ा ने बताया कि सुबह करीब दस बजे पहली नॉर्मल डिलीवरी हुई। शाम तक चार सीजेरियन और तीन नॉर्मल डिलीवरी हुईं। एक ऑपरेशन किया गया, टोटल ओपीडी दो सौ से अधिक रही।
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चार-पांच महीने का इंतजार खत्म हुआ : दस साल पुराने अस्पताल की याद बांटते दिखे लोग, सन्नाटा खत्म, चहुंओर शोर
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नागौर. महिला मरीज से मुलाकात करते डॉ मिर्धा
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शिटिंग के पहले दिन सात बच्चों ने लिया जन्म
नागौर. हमेशा सूना सा रहने वाला सेठ श्रीवल्लभ रामदेव पित्ती चिकित्सालय (पुराना अस्पताल) शनिवार को शोरगुल से भरा नजर आया। बच्चों की किलकारियों के बीच डॉक्टरों की मुस्तैदी देखते ही बन रही थी। बीमारी से उदास चेहरे लबे इंतजार के बाद मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य केन्द्र (एमसीएच विंग) के यहां शिट होने पर राहत की सांस ले रहे थे। कुछ ऐसे शस भी नजर आए जो करीब दस साल पहले के इस अस्पताल के पुराने दिनों की यादें ताजा कर रहे थे
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चार-पांच महीनों का इंतजार शनिवार को खत्म हुआ। सुबह से ही यहां की देखरेख में जुटे एडिशनल सीएमएचओ डॉ शीशराम ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों के साथ नर्सिंग अफसरों को समझाते-बुझाते नजर आए। प्रभारी डॉ गुलाब सिंह खुडख़ुडिय़ा, डॉ मूलाराम, डॉ सुभाष विश्नोई, डॉ राशि चौधरी अपनी-अपनी जिमेदारी निभाते दिखे।
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ओपीडी से पर्ची लेने के बाद सिक्योरिटी गार्ड मरीजों को वार्ड की तरफ भेजने में मशगूल रहे। रिनोवेशन के बाद यह पुराना अस्पताल नया नजर आ रहा था। पर्ची काउंटर पर तो डॉक्टर को दिखाने आई महिलाएं ही नहीं उनके परिजन तक इस नई व्यवस्था से संतुष्ट नजर आ रहे थे। प्रवेश करते ही अलग-अलग ओपीडी के बाद अलग-अलग वार्ड पूरी तरह तैयार थे, हालांकि मरीजों की संया काफी कम थी। ऊपरी मंजिल पर जननी सुरक्षा योजना वार्ड के साथ ऑपरेशन थिएटर तो नीचे नवजात के लिए आईसीयू की स्थिति किसी बड़े अस्पताल की मानिंद नजर आई।
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जानकारी के अनुसार शुक्रवार को अजमेर संभाग के संयुक्त निदेशक डॉ सपत सिंह जोधा, पीएमओ डॉ सुनीता सिंह आदि ने यहां का मौका-मुआयना किया था, जल्द सुबह से ही वहां से मरीजों को लाना शुरू कर दिया। करीब दस बजे तक व्यवस्थाएं पूरी तरह सुचारू हो गईं। उधर, रह गईं कुछ ऑपरेशन वाली महिलाओं की निगरानी डॉ दीपिका व्यास करती रहीं, शाम तक इन सबको भी पुराना अस्पताल में शिट कर दिया गया। जांच केन्द्र के बाहर खड़ी महिलाएं थीं तो कुछ नवजात को संभालने में जुटी उनकी दादी-नानी नजर आ रही थीं। अस्पताल में चल रही जनता क्लिीनिक को दूसरी तरफ शिट कर दिया गया।

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