मुन्नी की तीन बेटियां शादी योग्य हो गई है। उसे इन तीनों बेटियो के हाथ पीले हाथ कर विदा करना है जो मुन्नी के लिए आसान काम नहीं है। घर में एक मात्र कमाने वाली वह खुद है। समाज के रीति रिवाज के अनुसार उसे बेटियों को विदा करने की चिंता सता रही है। मुन्नी ने बेटियों की शादी सात दिसंबर को तय की है। लेकिन शादी की व्यवस्थाओं की चिंता में उसकी आंखों के आंसू नहीं थम रहे हैं। तीन बारात आएगी तो कैसे खातेदारी करेगी, बेटियों की विदाई कैसे होगी। काश आज पति होता तो मेरा सहारा बनता। मुन्नी के घर में खुशी से ज्यादा पीड़ा झलक रही है।
शादी की खुशी से ज्यादा मायूसी
शादी की खुशी से ज्यादा मायूसी
मुन्नी की तीन बेटियां संतोष, निरमा व सुमन अपनी शादी की खुशियां नहीं मनाकर पिता की यादों और मां की आंखों के आंसूओं को देख मायूस है। इन बेटियों को अब सरकार और समाजसेवी लोगों के सहयोग की अपेक्षा है, ताकि वे शादी कर खुशी-खुशी विदा हो सके।