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नागौर

बेटियों की शादी की चिंता में निर्धन विधवा की आंखों के नहीं थम रहे आंंसू

– सात दिन बाद बेटियों की होनी है शादी – मां को सता रहा तैयारियों का गम
-पति की टीबी के कारण दो साल पहले हुई मौत

नागौरDec 01, 2023 / 04:29 pm

Ravindra Mishra

बड़ीखाटू . रातंगा गांव में विधवा मुन्नी और उनकी तीन पुत्रियां।

बड़ीखाटू (नागौर) पति की मौत के बाद एक गरीब विधवा ने मजदूरी कर चार बच्चों का मुि्शकल से लालन पालन किया। तीन बेटियों की शादी लायक उम्र हुई तो किसी तरह रिश्ते भी तय कर दिए, लेकिन शादी का मौका महिला के लिए खुशी से ज्यादा दर्दभरा बन गया है। बेटियों की सात दिन बाद शादी होनी है और शादी की तैयारियों और बरात की खातिर का सोच मां की आंखों के आंसू नहीं रूक रहे हैं। यह दर्द भरी कहानी है रातंगा गांव निवासी मुन्नी देवी बावरी की।
मुन्नी देवी का पति जगदीश पत्थर का काम करता था। वह बारह वर्ष पहले व टीबी बीमारी से ग्रसित हो गया। दस साल तक मुन्नी मेहनत- मजदूरी कर उसका इलाज करवाती रही। दो वर्ष पहले जगदीश दुनिया को अलविदा कह गया। पति की मौत के बाद मुन्नी पर चार बच्चों के पालन-पोषण को लेकर संकट खड़ा हो गया। किसी तरह मजदूरी कर वह बच्चों को पालन लगी।
मुन्नी की तीन बेटियां शादी योग्य हो गई है। उसे इन तीनों बेटियो के हाथ पीले हाथ कर विदा करना है जो मुन्नी के लिए आसान काम नहीं है। घर में एक मात्र कमाने वाली वह खुद है। समाज के रीति रिवाज के अनुसार उसे बेटियों को विदा करने की चिंता सता रही है। मुन्नी ने बेटियों की शादी सात दिसंबर को तय की है। लेकिन शादी की व्यवस्थाओं की चिंता में उसकी आंखों के आंसू नहीं थम रहे हैं। तीन बारात आएगी तो कैसे खातेदारी करेगी, बेटियों की विदाई कैसे होगी। काश आज पति होता तो मेरा सहारा बनता। मुन्नी के घर में खुशी से ज्यादा पीड़ा झलक रही है।
शादी की खुशी से ज्यादा मायूसी
मुन्नी की तीन बेटियां संतोष, निरमा व सुमन अपनी शादी की खुशियां नहीं मनाकर पिता की यादों और मां की आंखों के आंसूओं को देख मायूस है। इन बेटियों को अब सरकार और समाजसेवी लोगों के सहयोग की अपेक्षा है, ताकि वे शादी कर खुशी-खुशी विदा हो सके।

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