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नागौर

Mandi News: सब्जियों के भावों को लेकर चल रहा बड़ा खेल, मंडी में सस्ती तो बाजार में पांच गुना मंहगी क्यों?

Nagaur Mandi News: प्रदेशभर में सब्जियों के भाव आसमान छू रहे हैं। मंडी में सब्जियां सस्ती दर पर मिलती है, वहीं सब्जियां खुले बाजार में चार से छह गुणा भाव में बेची जा रही है।

नागौरSep 25, 2024 / 11:31 am

Nirmal Pareek

Nagaur Mandi News: सब्जियों के भावों को लेकर बड़ा खेल चल रहा है। मंडी में सब्जियां सस्ती दर पर मिलती है, वहीं सब्जियां खुले बाजार में चार से छह गुणा भाव में बेची जा रही है। खुले बाजार के भाव कौन तय करता है यह भी पर्द का राज बना हुआ है। इससे दुकानदार चांदी काट रहे हैं और ग्राहक अधिक दाम चुकाकर लुट रहे हैं।
भावों पर लगाम लगाने वाला कोई नहीं है। नागौर मंडी में 280 रुपए प्रतिकिलो बिक रहा लहसुन बाहर दुकानों पर 400 रुपए प्रति किलो बेचा जा रहा है। छह से आठ रुपए प्रति किलो मंडी में बिक रही लौकी भी 40-50 रुपए प्रति किलो के भाव खुले बाजार में बिक रही है।
लगातार महंगी होती सब्जियों की वजह से रसोई का बजट गड़बड़ा गया है। जरूरी सब्जी आलू, टमाटर, भिंडी एवं प्याज की खरीद ही जेब पर करीब एक हजार रुपए का भार डाल रही है। पड़ जाता है। यही स्थिति लौकी, तोरू, टिंडसी, हरी प्याज, करेला, काचरा एवं हरी धनिया की है। हरा धनिया बाजार में यह 200 रुपए से 250 रुपए प्रति किलो की दर से बिक रहा है।
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इस संबंध में जानकारी करने पर सामने आया कि सब्जी मंडी में किसान सब्जी लेकर आता है तो उस पर सरकार के स्तर पर केवल एक प्रतिशत कृषक कल्याण शुल्क लगता है। यह शुल्क वर्ष 2020 से ही लग रहा है। इस पर व्यापारियों की ओर से 6 प्रतिशत आढ़त लगाई जाती है।
इसे ऐसे समझा जा सकता है कि मंगलवार को मंडी में छह से आठ रुपए प्रति किलो की लौकी बिकी, लेकिन दुकानों पर यह 40-50 रुपए प्रति किलो की दर से बेजी जा रही थी। यानि की कृषक कल्याण शुल्क, आढ़त एवं परिवहन व्यय आदि मिलाकर भी सब्जियों भाव 10-12 रुपए प्रतिकिलो की दर पर ही पहुंच पाते हैं। इस दर में भी लौकी बेचने पर सब्जी विक्रेता को डेढ़ गुना ज्यादा मुनाफा मिल रहा है, लेकिन यहां तो मनमर्जी से चालीस से पचास रुपए में माल बेचा गया। कुल मिलाकर फायदा दुकानदारों को मिल रहा है, और उपभोक्ता व किसान छले जा रहे हैं।

सब्जी मंडी भाव । बाजार भाव

आलू 20 30-35
टमाटर 25-30 50-60
भिंडी 10-15 50-60
करेला 30 40-50
मिर्ची 25-30 60
लौकी 6-8 40-50
प्याज 30-40 50-60
तोरू 20 60
टिंडा 15-20 40-50
हरी प्याज 30 60
लहसुन 280 400

हमें तो पूरा दाम वसूलना पड़ता है

इस संबंध में गांधी चौक एवं दिल्ली दरवाजा क्षेत्र के सब्जी विक्रेता रमेश, जुगल व जुमन ने बताया कि मंडी से थोक भाव में आने वाले सब्जियों में से कुछ सब्जियां खराब निकल जाती हैं। इसके अलावा वहां चार या पांच किलो नहीं, बल्कि पूरी खेप लेनी पड़ती है। कभी-कभी सारी सब्जियां बिक नहीं पाती है। ऐसे में सभी का मिलाकर खर्चा निकालना पड़ता है। सब्जियां आप गांधी चौक में लीजिये या फिर दिल्ली दरवाजा में, इनके भावों में कोई विशेष अंतर नहीं होता।

इनका कहना है…

सब्जी मंडी में मंडी प्रशासन के अनुसार सब्जियों के व्यापार के लिए माकूल व्यवस्था की गई है। किसानों से केवल कृषक कल्याण कोष के तौर पर एक प्रतिशत का शुल्क लिया जाता है। खुले बाजार की सब्जियों के भाव पर मंडी प्रशासन का कोई नियंत्रण नहीं रहता है।
– रघुनाथराम सिंवर, सचिव, कृषि उपजमंडी सचिव

सब्जीमंडी में सब्जी आती है तो यहां पर निर्धारित प्रावधानों के तहत ही व्यापार किया जाता है। काश्तकारों को उचित मूल्य दिलाने का प्रयास सदैव रहता है। दुकानों पर सभी को अपनी लागत निकालकर ही सामान बेचना पड़ता है।
– रामकुमार भाटी, अध्यक्ष, सब्जी मंडी यूनियन

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