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नागौर

कागजों में चल रही लाइब्रेरी, ज्यादातर स्कूलों में लाइब्रेरियन ही नहीं

कई जगह पद स्वीकृत नहीं, धूल फांक रहे हैं पुस्तकालय, जिले के साथ प्रदेश में भी यही हालात

नागौरDec 11, 2024 / 11:35 am

shyam choudhary

पुस्तकालय
नागौर. प्रदेश के 19 हजार से अधिक माध्यमिक शिक्षा के विद्यालयों में से मात्र 4,158 विद्यालयों में ही पुस्तकालयाध्यक्ष (लाइब्रेरियन) के पद स्वीकृत हैं, यानी पूरे 25 फीसदी विद्यालयों में भी पुस्तकालय अध्यक्ष नहीं है। जो स्वीकृत हैं, उनमें भी मात्र 2270 कार्यरत हैं, जबकि 1888 रिक्त चल रहे हैं। सबसे ज्यादा 75 प्रतिशत पद पुस्तकालय अध्यक्ष द्वितीय के रिक्त हैं। पुस्तकालय अध्यक्ष प्रथम के भी आधे से ज्यादा पद रिक्त हैं। ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकारी विद्यालयों में पुस्तकालय (लाइब्रेरी) के संचालन को लेकर सरकार व शिक्षा विभाग कितना गंभीर है। एक प्रकार से शिक्षा विभाग की ओर से सरकारी स्कूलों में लाइब्रेरी व लाइब्रेरियन को लेकर केवल खानापूर्ति की जा रही है। वहीं दूसरी ओर स्कूलों के विद्यालयों में पुस्तकों का ढेर बढ़ता जा रहा है, लेकिन उन्हें संभालने वाला कोई नहीं है। रखरखाव के अभाव में ये पुस्तकें अलमारियों में बंद पड़ी है और उन पर धूल जम रही है।
नागौर-डीडवाना के भी यही हालात

प्रदेश की तरह नागौर व डीडवाना-कुचामन जिले के भी यही हालात हैं। दोनों जिलों में माध्यमिक शिक्षा के कुल 996 विद्यालय हैं, जिनमें मात्र 151 में पुस्तकालयाध्यक्ष के पद स्वीकृत हैं और इनमें मात्र 82 में कार्यरत हैं, जबकि 69 रिक्त हैं। इसमें भी पुस्तकालय अध्यक्ष प्रथम का एक पद स्वीकृत है और वो ही खाली है। पुस्तकालय अध्यक्ष द्वितीय के 47 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 41 रिक्त हैं। पुस्तकालय अध्यक्ष तृतीय के 103 पद स्वीकृत हैं, जिनमें 27 रिक्त हैं।
पीएमश्री का तमगा, पर स्टाफ नहीं

जिले सहित प्रदेश के सैकड़ों स्कूलों को सरकार ने पीएमश्री का तमगा दिया है, जिनमें गतिविधियां तो बढ़ा दी, लेकिन न तो स्टाफ दिया और न ही संसाधन। नागौर शहर के राठौड़ी कुआं स्थित उच्च माध्यमिक विद्यालय को पीएमश्री तो बना दिया, लेकिन पूरे कक्षा कक्ष ही नहीं है। यहां लाइब्रेरी तो है, लेकिन लाइब्रेरियन नहीं है।
नो बैग डे के दिन क्या पढ़ें

सरकारी स्कूलों में दूसरे व चौथे शनिवार को नो बैग डे मनाया जाता है। इस दिन बच्चों को किताबें पढऩे के लिए दी जाती है, लेकिन अधिकतर विद्यालयों में लाइब्रेरियन नहीं होने से बच्चों को किताबें देने वाला भी कोई नहीं है।
सरकार को भरने चाहिए पद

किसी भी शिक्षण संस्था में लाइब्रेरी का महत्वपूर्ण स्थान होता है, इसलिए सरकार को सभी माध्यमिक विद्यालयों में लाइब्रेरियन के पद स्वीकृत करने के साथ भरने भी चाहिए, ताकि विद्यार्थियों को इसका लाभ मिले।
– अर्जुनराम लोमरोड़, जिलाध्यक्ष, शिक्षक संघ शेखावत, नागौर

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