दरअसल, खींवसर में हनुमान बेनीवाल की पार्टी का चुनाव में हारना उनके लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। क्योंकि खींवसर सीट पर फिर से जीत हासिल करने के लिए हनुमान बेनीवाल ने पूरी ताकत झोंक दी थी। उनकी पत्नि को हराने वाल रेवंतराम डांगा पहले खुद आरएलपी में ही थे और बेनीवाल के खास माने जाते थे। इस हार के बाद अब
राजस्थान में आरएलपी की विधानसभा में एक भी सीट नहीं है।
कांग्रेस की जमानत जब्त
बता दें, नागौर की
खींवसर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में मतगणना के बाद भाजपा ने जीत दर्ज की है। भारतीय जनता पार्टी के रेवंतराम डांगा ने 13870 वोटों से जीत दर्ज की है, उन्होंने आरएलपी की कनिका बेनीवाल को हराया है। रेवंतराम डांगा को 108402 और रालोपा की कनिका बेनीवाल को 94532 को वोट मिले हैं। जबकि कांग्रेस प्रत्याशी रतन चौधरी को केवल 5434 वोट मिले हैं। उनकी जमानत जब्त हो गई है। बता दें कांग्रेस की टिकट घोषणा के बाद से ही रतन चौधरी को अन्य के मुकाबले कमजौर प्रत्याशी बताया जा रहा था।
क्यों हारी बेनीवाली की पार्टी?
बताया जा रहा है कि खींवसर में इस बार चुनाव जातिगत ना होकर समीकरणों का हो गया था। क्योंकि 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी रहे रेवंतराम डांगा महज 2 हजार वोटों से हारे थे। इसलिए इस बार उन्होंने पिछली हार से सबक लेते हुए मेहनत की और शानदार जीत दर्ज की। इसके अलावा हनुमान बेनीवाल के दिव्या मदेरणा को लेकर दिए गए बयान भी उनके लिए नुकसानदायक रहे।
मूछ मुंडवाने का हुआ था एलान
बता दें नागौर की खींवसर विधानसभा सीट पर भजनलाल सरकार में मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने एक सभा में एलान किया था कि ये सीट हारने पर मैं मूछे मुंडवा लूंगा। अब सोशल मीडिया पर चर्चा चल रही है कि बीजेपी की जीत होने के बाद मंत्री को मूंछे नहीं हटवानी पड़ेगी। क्योंकि मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर इसी विधानसभा के रहने वाले हैं और पार्टी की तरफ से उनको इस सीट की जिम्मेदारी भी सौंपी भी गई थी।