शराब पकड़वाने वालों को मुखबिर प्रोत्साहन योजना के तहत रिवार्ड दिलाने की अजीब कोशिश पर खाकी की खूब किरकिरी हुई। इसके सभी 41 दावे खारिज कर दिए गए। इनमें 40 दावे तो अपने राजस्थान की शराब पकड़वाने के ही बना दिए, जबकि ये बाहरी राज्य से आने वाली अवैध शराब जब्त कराने पर दिए जाते हैं।
सूत्रों के अनुसार हर साल अवैध शराब पकड़वाने पर मुखबिर प्रोत्साहन योजना के तहत सूचना देने वालों को इनाम दिया जाता है। बाहरी राज्यों से आने वाली अवैध शराब की जानकारी देने पर मुखबिर को माल का दो फीसदी, जबकि वाहन के कीमत की आठ फीसदी राशि बतौर कमीशन/इनाम दी जाती है। इसके लिए कमेटी बनी हुई है। इसमें अतिरिक्त आबकारी आयुक्त (जोन) के अलावा एसपी व जिला आबकारी अधिकारी होते हैं। उसके बाद दावों की स्थित देखकर उनका निस्तारण किया जाता है। बाहरी राज्यों से आने वाली अवैध शराब पकड़वाने वालों को इनाम राशि दी जाती है। गौरतलब है कि आबकारी हो या पुलिस, इस योजना के तहत बाहर से आने वाली शराब को पकडऩे के अलग-अलग मामले/दावे बनाती है। पुलिस के दावे एसपी तो आबकारी के जिला आबकारी अधिकारी के जरिए आगे कमेटी के पास भेजे जाते हैं।
फालतू के 40 दावे सूत्रों ने बताया कि ये सभी दावे पुलिस की ओर से तत्कालीन एसपी श्वेता धनखड़ को पेश किए गए। मजे की बात तो यह कि कुल 41 में से चालीस मामले तो इसके लिए बनते ही नहीं थे। पुलिस ने प्रोत्साहन योजना के लिए राजस्थान में यहीं की पकड़ी अवैध शराब के दावे पेश कर दिए। पुलिस अवैध शराब कोई भी हो पकड़ सकती है पर मुखबिर प्रोत्साहन योजना के तहत बाहरी राज्यों से आने वाली शराब प$कड़वाने पर यह मिलता है। अज्ञानता के चलते पुलिस के काबिल अफसरों ने ऐसी दरियादिली दिखाई कि उसे मुंह की खानी पड़ी। पुलिस को मुखबिर प्रोत्साहन योजना की पूरी जानकारी ही नहीं है, शायद तभी उसने अपनी शराब को बड़ी कार्रवाई बताकर इनाम का दावा कर डाला।
गलत धारा में दर्ज कर खोया इनाम सूत्रों का कहना है कि इप 41 दावों में ले-देकर एक पर ही प्रोत्साहन मिलना था पर पुलिस की गलती ने इसे भी खो दिया। हुआ यूं कि हरियाणा निर्मित शराब का एक ट्रक पकड़ा गया। पुलिस ने कार्रवाई कर शाबाशी भी खूब ली। और तो और इनाम का दावा भी ठोक दिया पर यहां भी उसे मुंह की खानी पड़ी। दरअसल पुलिस ने यह मामला गलत धाराओं में दर्ज कर लिया था। दरअसल यह आबकारी अधिनियम की धारा 14/57 के तहत दर्ज होना चाहिए था पर पुलिस ने इसे 19/54 की धारा में दर्ज कर लिया। धारा 19/54 का मतलब यह शराब राजस्थान में वैध पर निर्धारित मात्रा से अधिक जबकि बाहरी राज्य की निर्मित अवैध शराब मिलने पर गलत धारा में मामला दर्ज हुआ तो प्रोत्साहन मिलता कैसे। यही नहीं इसकी वीडियोग्राफी तक पुलिस ने नहीं करवाई।
न नियमों की जानकारी न कार्रवाई की समझ सूत्र बताते हैं कि आबकारी नियमों की जानकारी पुलिस को नहीं है न ही उसे कार्रवाई की प्रक्रिया की समझ। आमतौर पर बाहरी राज्यों की पकड़े जाने वाली अवैध शराब की पूरी वीडियोग्राफी करनी होती है। इसके बाद अलग-अलग धाराओं में मामला दर्ज किया जाता है। असल बात यह है कि पुलिस ऐसे किसी मामले को पकडऩे पर वीडियोग्राफी ही नहीं करती। पुलिस को यह तक मालूम नहीं है कि व्यक्ति खुद के उपभोग के लिए कितनी शराब रख सकता है। कई मामलों में पुलिस उसे भी अवैध बताकर मामला बना देती है। गत अप्रेल में कोतवाली थाना इलाके में एक जने से 17 बीयर बोतल पकडकऱ पुलिस ने इसे अवैध बताते हुए मामला दर्ज कर लिया था, जबकि स्वयं के उपभोग के लिए कोई भी व्यक्ति करीब 23 बीयर बोतल रख सकता है। अमूमन पुलिस दो-चार बोतल मिलने पर ही लोगों को डराती-धमकाती है।
इनका कहना है मुखबिर प्रोत्साहन योजना के तहत 41 मामले थे, इनमें एक भी इस पर खरा नहीं उतरा। योजना के तहत बाहरी राज्यों की अवैध शराब पकड़वाने पर मुखबिर को माल का दो तो गाड़ी की कीमत की आठ फीसदी राशि दी जाती है।
-मोहनराम पूनिया, जिला आबकारी अधिकारी नागौर कैप्शन..नागौर. पकड़ी गई दो गाड़ी अवैध शराब (फाइल फोटो)