नागौर

काजू-बादाम से भी महंगी है मारवाड़ की ये सब्जी, बेचने वालों की हो रही बल्ले-बल्ले, विदेशों तक हाई डिमांड

Agriculture News: राजस्थान के मारवाड़ की प्रसिद्ध केर-सांगरी जैसी सूखी साग के भाव काजू-बादाम से भी ऊपर पहुंच गए है। बिना प्रयासों के आसानी से उगने वाली इस साग को बेचने वालों की बल्ले-बल्ले हो गई है।

नागौरApr 03, 2024 / 11:56 am

Akshita Deora

Rajasthani Ker Sangri: मारवाड़ के सूखे मेवे के नाम से प्रसिद्ध कैर-सांगरी के भाव काजू-बादाम से भी ऊपर पहुंच गए हैं। शीतला सप्तमी व अष्टमी पर पंचकूटा बनाने के लिए सूखे कैर-सांगरी की मांग बढ़ी तो दुकानदारों ने भी भावों को आसमान पर पहुंचा दिया। कैर-सांगरी की सब्जी खाने में लजीज व काफी दिन तक खराब नहीं होने के कारण इसकी डिमांड बढ़ी है।

खासकर मारवाड़ (पश्चिमी राजस्थान) क्षेत्र में बहुतायात में होने वाले कैर-सांगरी शुद्धता के साथ शत-प्रतिशत जैविक होने के कारण इनकी मांग स्थानीय के साथ विदेशों में भी बढ़ने लगी है। मारवाड़ी सूखा साग के व्यापारियों का कहना है कि शीतला सप्तमी व अष्टमी पर सूखे कैर-सांगरी की मांग काफी रहती है। घर में बनाए जाने वाले ठंडे भोजन के साथ बनने वाले पंचकूटे में इनका उपयोग होने से बाजार में इसके भाव आसमान छूने लगे हैं। पंचकूटा के साग में सूखे कैर-सांगरी, कुम्मट (कुमटिया), काचरे, साबूत अमचूर, सूखे मेवे डाले जाते हैं। मारवाड़ में काजू-बादाम सस्ते व कैर-सांगरी इनसे महंगे मिल रहे हैं। ऐसे में मारवाड़ी सूखा साग इन दिनों काजू बादाम के भाव को भी मात दे रहा है।

इस बार कैर-सांगरी का अच्छा उत्पादन
हालांकि कैर-सांगरी मारवाड़ की ऐसी सब्जी है, जिसकी खेती नहीं होती। कैर की झाड़ियां ओरण एवं अंगोर में स्वत: उगती है तो खेजड़ी के पेड़ भी खेतों में बुजुर्गों के बचाए हुए हैं। इस बार कैर की झाड़ियां हो या फिर खेजड़ियां , फूलों से लदकद हैं, ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि कैर और सांगरी दोनों का उत्पादन अच्छा होगा।

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विदेशों में काफी मांग
मारवाड़ में बड़ी मात्रा में होने वाले कैर-सांगरी की विदेशों में काफी मांग है। इसकी सब्जी बनाने के साथ अचार के भी काम आती है। ऐसे में खाने में स्वादिष्ट व कई दिनों तक खराब नहीं होने के कारण विदेशों व सितारा होटलों में भी इसकी खास डिमांड रहती है। मारवाड़ी परिवारों के लिए यह एक खास व्यंजन हैं।

ये हैं सूखे साग के भाव प्रतिकिलो
सूखे कैर : 1200-2000 रुपए तक
सूखी सांगरी : 600-900 रुपए तक
कुमटिया : 140 से 180 रुपए तक
काचरी : 180 से 220 रुपए तक
गुंदा : 300 से 450 रुपए तक
गीला कैर : 150 से 250 रुपए तक

मेवों के भाव प्रतिकिलो
काजू : 600 से 1000 रुपए तक
बादाम : 600 – 1800 रुपए तक
किशमिश : 300 रुपए
दाख : 350 रुपए
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जैसा माल, वैसे भाव
सूखे साग में कैर व सांगरी की मांग शीतला सप्तमी व अष्टमी के मौके पर काफी बढ़ जाती है। जैसा माल होता है, वैसे भाव होते हैं। छोटे कैर के भाव 2000 रुपए तक हैं तो सांगरी 600 से 900 रुपए प्रति किलो तक बिक रही है। कैर-सांगरी की विदेशों के साथ बड़ी होटलों में भी मांग बढ़ी है।
नरेन्द्र संखलेचा, सूखा साग व्यापारी, नागौर

मुफ्त में मिलते थे कैर-सांगरी
बिना किसी प्रयास के पैदा होने वाले कैर-सांगरी की सूखी सब्जियों से ग्रामीणों को रोजगार भी मिलने लगा है। ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं और पुरुष कैर-सांगरी को एकत्र कर बाजार तक पहुंचाते हैं, जिसके बदले उन्हें अच्छी कीमत मिल जाती है। साथ ही शहरों में सूखे साग का व्यापार करने वाले व्यापारी भी अब अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। कुछ साल पहले तक गांवों में कैर-सांगरी मुफ्त में मिल जाते थे। अन्य प्रदेशों और विदेशों तक जाने से मारवाड़ी सूखे मेवे के भाव लगातार बढ़ते जा रहे हैं।

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