अधिकारिक बयान के मुताबिक, इस परियोजना का निर्माण वधावन पोर्ट प्रोजेक्ट लिमिटेड (वीपीपीएल) द्वारा किया जाएगा। वीपीपीएल जवाहरलाल नेहरू पोर्ट अथॉरिटी (जेएनपीए) और महाराष्ट्र मैरीटाइम बोर्ड (एमएमबी) द्वारा गठित एक एसपीवी है। इसमें इनकी क्रमशः 74 प्रतिशत और 26 प्रतिशत की हिस्सेदारी है।
वधावन बंदरगाह को महाराष्ट्र के पालघर जिले के वधावन में ग्रीनफील्ड डीप ड्राफ्ट मेजर पोर्ट के रूप में विकसित किया जाएगा, जो सभी मौसमों में संचालित होगा। इस परियोजना की कुल लागत 76,220 करोड़ रुपये है। इसमें भूमि अधिग्रहण की लागत भी शामिल है। इसमें सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड में मुख्य बुनियादी ढांचे, टर्मिनलों और अन्य वाणिज्यिक बुनियादी ढांचे का निर्माण होगा।
मोदी कैबिनेट ने वधावन बंदरगाह को राष्ट्रीय राजमार्गों से जोड़ने और मौजूदा रेल नेटवर्क और आगामी समर्पित रेल फ्रेट कॉरिडोर से लिंक करने को भी मंजूरी दी है। वधावन पोर्ट में नौ कंटेनर टर्मिनल होंगे। इनमें से प्रत्येक 1,000 मीटर लंबा होगा। तटीय बर्थ सहित चार बहुउद्देशीय बर्थ, चार लिक्विड कार्गो बर्थ, एक रो-रो बर्थ और एक तटरक्षक बर्थ शामिल होंगे।
इस परियोजना की क्षमता (संचयी) 298 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) प्रति वर्ष होगी। इसमें लगभग 23.2 मिलियन टीईयू (लगभग 20 फुट) कंटेनर हैंडलिंग क्षमता शामिल है। वधावन बंदरगाह पूरा होने पर दुनिया के शीर्ष दस बंदरगाहों में से एक होगा।
इस परियोजना से लगभग 12 लाख व्यक्तियों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर मिलने की संभावना है। जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगा।