नासिक में भगवान राम के प्रख्यात कालाराम मंदिर में उद्धव ठाकरे ने परिवार समेत पूजा-अर्चना की और महाआरती की। भगवान राम के दर्शन के बाद ठाकरे परिवार ने गोदावरी तट जाकर महाआरती की। इससे पहले उद्धव ठाकरे भागुर में स्वातंत्र्यवीर सावरकर के स्मारक गए। इस अवसर पर जिला अध्यक्ष विजय करंजकर ने उद्धव ठाकरे का स्वागत किया। उनके साथ आदित्य ठाकरे भी मौजूद थे।
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उद्धव ठाकरे ने इस दौरान भगवा कुर्ता पहना था। गले में रुद्राक्ष की माला भी पहनी हुई थी और माथे पर टीका लगाया हुआ था। उनके इस लुक को देखकर कई लोगों को बालासाहेब ठाकरे की याद आ गई। नासिक में उद्धव ठाकरे के पहुंचने के बाद कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने उनका जोरदार स्वागत किया। जेसीबी से उद्धव ठाकरे को 40 फीट का हार पहनाया गया। साथ ही फूल की बरसात की गयी।
मंगलवार यानी 23 जनवरी को शिवसेना संस्थापक बाला साहेब ठाकरे की जयंती है। इस मौके पर उद्धव गुट ने मंगलवार सुबह महाशिविर का आयोजन किया है। इसमें प्रदेशभर से 1600 प्रतिनिधि भाग लेंगे। उद्धव ठाकरे गुट के महाशिविर में लोकसभा और विधानसभा चुनाव की रणनीति बनायी जायेगी। वहीँ, शाम में उद्धव ठाकरे बड़ी सार्वजनिक सभा को संबोधित करेंगे। इस मौके पर कारसेवकों का सत्कार भी किया जाएगा।
गौरतलब हो कि 500 साल के लंबे इंतजार के बाद अयोध्या में भव्य राम मंदिर में रामलला की मूर्ति स्थापित की गई। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने रामलला की विधि-विधान से प्राण प्रतिष्ठा की।
उद्धव ठाकरे को शनिवार को राम मंदिर के उद्घाटन में शामिल होने का निमंत्रण मिला। लेकिन पार्टी नेताओं ने आरोप लगाया कि रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का न्योता ठाकरे को महज औपचारिकता के लिए स्पीड पोस्ट से भेजा गया। जबकि न्योता नहीं मिलने पर उद्धव खेमे ने पहले ही नासिक दौरे की घोषणा कर दी थी।
नासिक शहर के पंचवटी क्षेत्र में गोदावरी नदी के किनारे स्थित कालाराम मंदिर बेहद प्राचीन है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 जनवरी को अयोध्या में भव्य राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से ठीक 10 दिन पहले यहां का दौरा किया था। भगवान राम जब 14 वर्षों के वनवास गए थे, तब वह सबसे पहले नासिक आये थे।
रामायण से जुड़े स्थानों में पंचवटी का विशेष महत्त्व है। रामायण की कई महत्वपूर्ण घटनाएं इसी स्थान पर घटी थी। पंचवटी का अर्थ है पांच बरगद के पेड़ों वाली भूमि। किंवदंती है कि भगवान राम ने यहां अपनी कुटिया स्थापित की थी क्योंकि पांच बरगद के पेड़ों की उपस्थिति ने इस क्षेत्र को शुभ बना दिया था।