राज्य के आदिवासी विकास मंत्री डॉ. विजयकुमार गावित के भाई राजेंद्रकुमार गावित नंदुरबार (Nandurabar) की शहादा-तलोदा विधानसभा क्षेत्र (Shahada Taloda Seat) से चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं। फिलहाल यहां से बीजेपी के राजेश पाडवी (Rajesh Padvi) विधायक हैं। इस बात की पूरी संभावना है कि पार्टी उन्हें दोबारा टिकट देगी। इसीलिए गावित ने अपना पद छोड़ दिया।
BJP की सिरदर्द बढ़ी!
बता दें कि शहादा में एक बड़ा तबका है जो राजेंद्र कुमार गावित का समर्थक है। इसलिए, अगर गावित किसी अन्य पार्टी में शामिल होते हैं या निर्दलीय चुनाव लड़ते हैं, तो बीजेपी को काफी नुकसान हो सकता है। धनगर आरक्षण पर महायुति का रुख भी गावित के लिए सिरदर्द बना था। नंदुरबार आदिवासी बहुल जिला है, ऐसे में सत्तारूढ़ महायुति की टेंशन बढ़ सकती है।
इसी साल मई महीने में राजेंद्र गावित फिर बीजेपी में शामिल हुए थे। महाराष्ट्र के पालघर से एकनाथ शिंदे नीत शिवसेना के सांसद रहे गावित ने छह साल में तीसरी बार पाला बदला था। दरअसल लोकसभा चुनाव में पालघर से टिकट नहीं मिलने से वह नाखुश थे। उन्होंने उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले की मौजूदगी में फिर से ‘कमल’ उठाया। राजेंद्र गावित 2018 में कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए थे और फिर 2019 में शिवसेना में चले गए और इसी साल फिर बीजेपी में आ गये।
6 साल में 3 बार बदला पाला
इस बार बीजेपी के कोटे में गई पालघर लोकसभा सीट से डॉ. हेमंत सावरा (Hemant Savara) को उम्मीदवार बनाया गया था और वह विजयी भी हुए। दरअसल बीजेपी ने 2014 में पालघर संसदीय क्षेत्र में जीत हासिल की थी। बीजेपी के तत्कालीन सांसद का निधन होने के बाद 2018 में हुए उपचुनाव में बीजेपी ने राजेंद्र गावित को टिकट दिया था और वह जीत भी गए। इसके बाद बीजेपी के मौजूदा सांसद राजेंद्र गावित ने 2019 के लोकसभा चुनाव में शिवसेना (अविभाजित) के चुनाव चिह्न पर पालघर से चुनाव लड़ा और फिर सफलता हासिल की। लेकिन इस बार उनका टिकट काट दिया गया।