उसकी गर्भावस्था अपने साथी के साथ सहमति से बनाए गए संबंध और गर्भनिरोधक उपकरण की विफलता की वजह से हुई थी। जेजे हॉस्पिटल के मेडिकल बोर्ड की 8 सितंबर की रिपोर्ट में कहा गया है कि अपरिपक्व या गर्भवती महिला के शरीर में कोई विकृति नहीं पाई गई।
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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जेजे हॉस्पिटल के मेडिकल बोर्ड की 8 सितंबर की रिपोर्ट में कहा गया है कि अपरिपक्व या गर्भवती महिला के शरीर में कोई असामान्यता नहीं पाई गई है। मेडिकल बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि गर्भावस्था करीब 26 सप्ताह की है और इस स्तर पर एमटीपी के परिणामस्वरूप समय से पहले पैदा होने वाले बच्चे को गहन देखभाल प्रबंधन की जरूरत होगी। हाईकोर्ट ने 13 सितंबर को मेडिकल बोर्ड को महिला की गर्भावस्था की अवधि पर फिर से जांच करने का निर्देश दिया। बता दें कि बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि जन्म लेने वाले बच्चे का ख्याल रखना होगा और ऐसा नहीं होना चाहिए कि समय से पहले पैदा होने की वजह से वह किसी शारीरिक विकृति का शिकार हो जाए। जजों ने कहा कि अगर डाॅक्टर्स यह कह दें कि बच्चा जिंदा पैदा नहीं होगा, तो हमें एमटीपी की अनुमति देने में कोई दिक्कत नहीं है।