नागपुर नगर निगम (एनएमसी) ने नए मरीजों के परिजनों और पड़ोसियों के खून के सैंपल लिए थे। इनमें से केवल एक ही पॉजिटिव पाया गया। डिपार्टमेंट ने अब प्रत्येक 10 जोनों में मोरबिडिटी मैनेजमेंट और डिजिज प्रिवेंशन (एमएमडीपी) क्लीनिक स्थापित करने का प्रोसेस शुरू कर दिया है। इन क्लीनिकों में मरीज समय-समय पर फ्री जांच, किट और दवाएं का लाभ ले सकेंगे।
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बता दें कि साल 2018 के बाद से इस साल फाइलेरिया के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई हैं। साल 2018 से साल 2021 के बीच नागपुर में केवल 8 नए मामले सामने आए थे जबकि पिछले साल महज दो नए मामले मिले थे। वहीं, इस साल 12 नए मामलों में 8 पुरुष और 4 महिलाएं हैं। नए मामलों में आठ लिम्फेडेमा (सूजन पैर) और चार हाइड्रोसील शामिल हैं। एनएमसी मलेरिया और फाइलेरिया अधिकारी डॉ जैस्मीन मुलानी ने बताया कि डिपार्टमेंट बहुत ही जल्द फुटपाथ और मलिन बस्तियों में रहने वाले नागरिकों का ट्रांसमिशन असेसमेंट सर्वे भी शुरू कर रहा है। सर्वे में रात के समय के खून के सैंपल का क्लेक्शन शामिल होता है जब माइक्रोफाइलेरिया एक्टिव होता है। इस चरण में पता लगाने से बीमारी को गंभीर रूप लेने से रोकने में सहयोग मिलता है।