गौरतलब है कि पिछले महीने 21 जून को पालघर पुलिस स्टेशन में पत्रकार राम परमार और मोहम्मद हुसैन खान के साथ ड्यूटी पर मौजूद पुलिस उपनिरीक्षक तौफीक सैय्यद ने गैर जिम्मेदाराना बर्ताव किया था। उस समय दोनों पत्रकार आरोपी की फोटो क्लिक कर रहे थे कि तभी उनका मोबाइल छीन लिया। विरोध करने पर तौफीक सैय्यद ने अपने वरिष्ठ अधिकारी एसपी मंजूनाथ सिंघे को गलत जानकारी देकर दोनों पत्रकारों के खिलाफ धारा 353 के तहत फर्जी मामला भी दर्ज करा दिया। बाद में पत्रकार राम परमार को उनके घर से गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में राज्य के पत्रकारों ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस समेत सभी आला अधिकारियों और जन प्रतिनिधियों को लिखित शिकायत कर पूरे मामले पर सख्त कार्रवाई की मांग की थी। शिवसेना की प्रवक्ता व आमदार नीलम गोरहे ने पत्रकारों के शिष्टमंडल से पूरे मामले की जानकारी लेकर मामले को नागपुर अधिवेशन में भी उठाया था। विधानसभा में भी यह मामला गूंजा था, जिसके बाद सीएम कार्यालय ने संज्ञान लिया।
इधर पुलिस की लापरवाही से प्रदेश में एक और घटना देखने को मिली। राज्य की पुलिस सोशल मीडिया के माध्यम से अपवाहें फैलाने वालों पर लगाम लगाने में विफल रही और इसी के चलते पांच लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। यह मामला धुले जिले का है। देश के अन्य राज्यों से फैलती अपवाहों के कारण लोगों की जान जाने की खबरें सामने आने के बाद भी प्रदेश की पुलिस ने राज्य में इस समस्या से निपटने का कोई इंतजाम नहीं किया। धुले में पांच लोगों को भीड़ ने बच्चा चोर समझकर मार डाला। मरने वालों में एक महिला और बच्चा भी शामिल था।