बीजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी के बीच सीट बंटवारे का फार्मूला अभी तक फाइनल नहीं हो सका है। आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी 30 से अधिक सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारना चाहती है। जबकि अजित पवार की एनसीपी 10 सीटों पर लड़ना चाहती हैं। लेकिन बीजेपी उन्हें चार सीटें ऑफर कर रही है।
इस बीच, खबर आ रही है कि अजित गुट 16 सीटों पर नजर गड़ाए हुए है। वहीँ, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना 22 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। इस वजह से बीजेपी की टेंशन बढ़ गई है और सीट शेयरिंग का मुद्दा उलझता जा रहा है।
अजित पवार की एनसीपी ने पहले 10 सीटों पर चुनाव लड़ने का रुख अपनाया था। लेकिन इसमें अब 6 सीटें और जोड़ दी हैं। आज और कल एनसीपी की समीक्षा बैठक में कुल 16 लोकसभा क्षेत्रों की समीक्षा की जाएगी। इसमें वर्तमान में एकनाथ शिंदे के कब्जे वाली कोल्हापुर, नासिक और बीजेपी की अहमदनगर दक्षिण, भंडारा, गोंदिया, नासिक, दिंडोरी सीट शामिल है।
अजित पवार खेमा अहमदनगर दक्षिण सीट चाहती है। जहां से फिलहाल बीजेपी नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल के बेटे सुजय पाटिल सांसद हैं। कहा जा रहा है कि इस सीट से अजित पवार के समर्थक विधायक नीलेश लंके चुनाव लड़ना चाहते है और अगर उन्हें टिकट नहीं मिला तो वह फिर से शरद पवार के साथ चले जायेंगे।
वहीँ, भंडारा गोंदिया यह प्रफुल्ल पटेल का गढ़ माना जाता है, इसलिए एनसीपी वह सीट भी चाहती है। वहीं दिंडोरी से मौजूदा केंद्रीय मंत्री भारती पवार की जगह अजित पवार अपने खेमे के विधायक नरहरि झिरवाल को मौका देना चाहते है। नासिक सीट पर फिलहाल शिवसेना के हेमंत गोडसे सांसद हैं, लेकिन यहां छगन भुजबल के भतीजे समीर भुजबल के नाम की चर्चा जोरो पर है।
एनसीपी ने 2019 में नॉर्थ ईस्ट मुंबई सीट जीती थी। उस सीट की भी एनसीपी समीक्षा करेगी। कोल्हापुर में फिलहाल शिवसेना के संजय मंडलिक सांसद हैं। 2014 से 2019 के बीच यह सीट एनसीपी के पास थी।
इन छह सीटों के अलावा अजित पवार की एनसीपी ने दस और सीटों पर अपने प्रत्याशी उतरना चाहती है। जिसमें उद्धव ठाकरे की शिवसेना की धाराशिव, परभणी सीट शामिल है। जबकि, पिछले चुनाव में बीजेपी द्वारा जीती गई गढ़चिरौली, माढ़ा और शिंदे की शिवसेना की हिंगोली, बुलढाणा सीट शामिल है। इसके अलावा बारामती, शिरूर, सतारा, रायगढ़ सीट भी शामिल हैं।
अमित शाह आज करेंगे फैसला!
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह आज (5 मार्च) महाराष्ट्र दौरे पर आ रहे है। इस दौरान राज्य की लोकसभा सीटों के बंटवारे के फॉर्मूले पर चर्चा हो सकती है। इससे सत्तारूढ़ महायुति का सीट बंटवारे का मुद्दा सुलझ सकता है। चर्चा है कि बीजेपी अपने सहयोगियों को ज्यादा सीटें दे सकती है, लेकिन शर्त ये होगी कि वे कमल के निशान पर चुनाव लड़ें।