जानकारी के मुताबिक, गांव में मंगलवार को महाप्रसाद का आयोजन किया गया था। इसमें शामिल दो हजार श्रद्धालु बीमार पड़ गए। उन्हें उल्टी, चक्कर आना, जी मिचलाना और दस्त शुरू हो गयी। तबियत बिगड़ने पर उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल में जगह नहीं होने के कारण कई लोगों का इलाज फर्श पर लिटाकर किया गया।
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कोश्तवाड़ी के बालूमामा मेंढ्या गांव में धार्मिक उपदेश का कार्यक्रम आयोजित किया गया था जहां शाम करीब पांच बजे स्थानीय लोगों के साथ आसपास के सावरगांव, पोस्टवाड़ी, रिसानगांव और मस्की गांवों के लोग भी एकत्र हुए और सभी ने भोजन किया। एक अधिकारी ने बताया कि बुधवार तड़के महाप्रसाद कहने वाले सैकड़ों लोगों को उल्टी और दस्त की शिकायत होने लगी। शुरुआत में 150 लोगों को नांदेड के लोहा के उप-जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। अधिकारी ने कहा कि बाद में अन्य लोगों को भी इसी तरह की स्वास्थ्य समस्याएं होने लगीं।
बताया जा रहा है कि 870 मरीजों को शंकरराव चव्हाण शासकीय वैद्यकीय महाविद्यायल सहित अन्य अस्पतालों में भर्ती कराया गया। स्थिति को देखते हुए नांदेड के सरकारी आयुर्वेदिक अस्पताल में और भी बिस्तरों की व्यवस्था की गई।
अधिकारी ने बताया कि फूड पॉइजनिंग की जांच के लिए मरीजों के नमूने लैब भेजे गए हैं। प्रभावित गांवों में सर्वेक्षण के लिए पांच टीम तैनात की गई हैं। अधिकारी ने बताया कि मामले की जांच के लिए एक टीम का भी गठन किया है। मरीजों की हालत स्थिर है और उपचार के बाद उन्हें घर भेजा जा रहा है।