Dussehra 2022: महाराष्ट्र के इस गांव में होती है दशानन की पूजा, नहीं जलाए जाते यहां रावण के पुतले
देश के अलग-अलग हिस्सों में दशहरा के मौके पर रावण के पुतलों का दहन किया जात है, लेकिन महाराष्ट्र का एक गांव ऐसा भी है जहां राक्षसों के राजा रावण की पूजा की जाती है। दशहरा के दिन रावण का पुतला नहीं जलाया जाता हैं।
देश के अलग-अलग हिस्सों में दशहरा के मौके पर रावण के पुतलों का दहन किया जात है, लेकिन महाराष्ट्र के अकोला जिले में एक गांव ऐसा भी है जहां राक्षसों के राजा रावण की पूजा की जाती है। यहां के लोगों का मानना है कि पिछले 200 सालों से संगोला गांव में रावण की पूजा उसकी ‘विद्वता और तपस्वी गुणों’ के लिए की जाती है। इस गांव के मध्य में काले पत्थर की रावण की लंबी मूर्ति बनी हुई है जिसके 10 सिर और 20 हाथ हैं।
इस गांव के लोग यहीं रावण की पूजा करते हैं। स्थानीय मंदिर के पुजारी हरिभाउ लखाड़े ने बताया कि दशहरा के मौके पर देश के कई हिस्सों में बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में रावण के पुतलों का दहन किया जाता है, वहीं संगोला के निवासी रावण की पूजा करते हैं।
हरिभाउ लखाड़े ने आगे बताया कि उनका पूरा परिवार काफी समय से रावण की पूजा करता आया है। रावण की वजह से ही गांव में समृद्धि और शांति बनी हुई है। स्थानीय निवासी मुकुंद पोहरे ने बताया कि गांव के कुछ बुजुर्ग रावण को ‘विद्वान’ बताते हैं और उनका मानना है कि सीता का अपहरण रावण ने ‘राजनीतिक वजहों से किया था और उनकी पवित्रता को बनाए रखा।
राम के साथ रावण में भी आस्था: बता दें कि हरिभाउ लखाड़े ने कहा कि गांव के लोगों का विश्वास राम में भी है और रावण में भी है। वे रावण के पुतले नहीं जलाते हैं। देश के कई हिस्सों से लोग दशहरा के मौके पर रावण की प्रतिमा को देखने यहां आते हैं और कुछ पूजा भी करते हैं। हालांकि, कोरोना महामारी के चलते यहां भी सादे तरीके से उत्सव मनाया जा रहा है।
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