मुंबई के सह्याद्रि गेस्ट हाउस में सोमवार को एक बैठक हुई। इस दौरान पुणे जिले के दौंड तालुका की विभिन्न परियोजनाओं और योजनाओं को लेकर चर्चा हुई। इस मुलाकात के बाद देवेंद्र फडणवीस ने मीडिया से बातचीत की और मराठा आरक्षण को लेकर बड़ी बात कही।
यह भी पढ़ें
Maratha Reservation: ‘जब तक जिंदा हूं, मराठा एकजुट रहेंगे’, मनोज जरांगे ने भरी हुंकार, फडणवीस पर साधा निशाना
फडणवीस ने मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि अगर सीएम शिंदे यह दावा करते हैं कि मैं मराठा समुदाय को आरक्षण देने की प्रक्रिया में बाधा डाल रहा हूं तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा। फडणवीस ने कहा, ‘‘यदि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे यह दावा करते हैं कि मेरी उपस्थिति मराठा आरक्षण के संबंध में निर्णय लेने में बाधा उत्पन्न करती है, तो मैं अपना इस्तीफा दे दूंगा और राजनीति छोड़ दूंगा।’’ इस दौरान उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि उन्हें पता है कि जरांगे का उनसे ‘विशेष स्नेह’ है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि मुख्यमंत्री राज्य का मुखिया होता है और सभी निर्णय लेने के लिए जिम्मेदार होता है। मराठा समुदाय को लाभ पहुंचाने वाले निर्णय या तो मेरे मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान लिए गए या सीएम शिंदे के कार्यकाल में हुए हैं।’’
वहीँ, सीएम शिंदे ने पत्रकारों के साथ बातचीत में फडणवीस का बचाव करते हुए कहा कि सरकार के निर्णय सामूहिक रूप से लिए जाते है। उनके खिलाफ मनोज जरांगे के आरोप निराधार है। जब फडणवीस सीएम थे तो उन्होंने मराठा समुदाय को आरक्षण दिया था।
बता दें कि मनोज जरांगे ने बीजेपी नेता फडणवीस की तीखी आलोचना करते हुए कहा था कि वह मराठा समुदाय के आरक्षण में मुख्य बाधा बन रहे हैं। फडणवीस के संन्यास लेने के बयान पर मनोज जरांगे ने कहा, मराठों को प्रशासनिक स्तर पर कुनबी प्रमाणपत्र देने का काम रोक दिया गया है। हमने कभी फडणवीस को अपना प्रतिद्वंद्वी नहीं माना, लेकिन वे इतने साल से सत्ता में हैं और मराठा कोटा अमल में नहीं आया। इसका मतलब है कि फडणवीस मराठा समुदाय के लिए कोटा नहीं चाहते हैं।