चेतना सिन्हा के प्रयास से शुरू हुए इस बैंक की आज महाराष्ट्र में सात शाखाएं चल रही है, और इन बैंकों का मार्केट वैल्यू 150 करोड़ का है। इन बैंकों में अब तक दो लाख महिला ग्राहक बन चुकी है। यह बैंक गरीब महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करने लगा है जिससे उनकी जिंदगी में बदलाव आने लगा है।
100 रुपये का भी मिलता है लोन
‘माण देसी बैंक’ में महिलाएं 10 रुपये से लेकर 20 रुपये तक जमा करा सकती है और छोटे कामगारों को बैंक नाम मात्र के ब्याज पर 100 रुपये से 200 रुपये तक का भी लोन देता है। लोन की प्रक्रिया बहुत ही सरल रखी गई है। इन बैंकों का पूरा फोकस ज़रूरत मंद महिलाओं पर है। लड़कियों को स्कूल जाने आने के लिए साईकल खरीदने के लिए तथा सिलाई बुनाई सिखाने के लिए या मशीन खरीदने के लिए भी लोन उपलब्ध कराते हैं। अब महिला उद्यमियों के लिए देश का पहला महिला वाणिज्य चेंबर भी स्थापित कर दिया गया है।
जेपी आंदोलन से मिली प्रेरणा
छोटी उम्र में एक संस्था के साथ जुड़ने वाली चेतना गाला सिन्हा कॉलेज के दिनों में जयप्रकाश नारायण के छात्र आंदोलन से जुड़ जाती है। पढ़ाई में रुचि और अच्छे नंबर लाने की वजह से अर्थशास्त्र के प्रोफेसर बनने के बाद भी वह अपने क्षेत्र के गरीब लोगों की मदद के लिए नौकरी छोड़ देती है। गांव-गांव सफर करती है, बाद एक संस्था की शुरुआत करती है। जिसकी मदद से वह देश का पहला महिला सहकारी बैंक स्थापित कर डालती है।
यह भी पढ़ें
पुणे के छावनी पुलिस स्टेशन में रोज सजती है सुरों की महफिल, अधिकारी से लेकर चपरासी तक होते है शामिल
100 रुपये का भी मिलता है लोन
‘माण देसी बैंक’ में महिलाएं 10 रुपये से लेकर 20 रुपये तक जमा करा सकती है और छोटे कामगारों को बैंक नाम मात्र के ब्याज पर 100 रुपये से 200 रुपये तक का भी लोन देता है। लोन की प्रक्रिया बहुत ही सरल रखी गई है। इन बैंकों का पूरा फोकस ज़रूरत मंद महिलाओं पर है। लड़कियों को स्कूल जाने आने के लिए साईकल खरीदने के लिए तथा सिलाई बुनाई सिखाने के लिए या मशीन खरीदने के लिए भी लोन उपलब्ध कराते हैं। अब महिला उद्यमियों के लिए देश का पहला महिला वाणिज्य चेंबर भी स्थापित कर दिया गया है।
जेपी आंदोलन से मिली प्रेरणा
छोटी उम्र में एक संस्था के साथ जुड़ने वाली चेतना गाला सिन्हा कॉलेज के दिनों में जयप्रकाश नारायण के छात्र आंदोलन से जुड़ जाती है। पढ़ाई में रुचि और अच्छे नंबर लाने की वजह से अर्थशास्त्र के प्रोफेसर बनने के बाद भी वह अपने क्षेत्र के गरीब लोगों की मदद के लिए नौकरी छोड़ देती है। गांव-गांव सफर करती है, बाद एक संस्था की शुरुआत करती है। जिसकी मदद से वह देश का पहला महिला सहकारी बैंक स्थापित कर डालती है।
आज चेतना गाला सिन्हा की बात और उनके ‘माण देसी बैंक’ फाउंडेशन की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है। इस संस्था का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं की मदद करना और उन्हें नई दिशा देना है, जिसके लिए वह छात्र जीवन से ही प्रयासरत है। दरअसल सिन्हा का जन्म मुंबई में हुआ लेकिन जेपी आंदोलन में कूद पड़ने के बाद वह बिहार चली गई जहां उनकी मुलाकात किसान नेता विजय सिन्हा से हुई और दोनों ने शादी कर ली। अपने राज्य सातारा जिले में पहुंची यहां सूखाग्रस्त क्षेत्र के लोगों के लिए कुछ करने की इच्छा हुई। उन्होंने देखा कि 48 डिग्री में महिलाएं पत्थर तोड़ रही थी और इन महिलाओं को ही उन्होंने परिवर्तन का जरिया बनाना उचित समझा। फिर एक गांव को चुना और वहां की महिलाओं को बचत के लिए प्रेरित किया जिससे वें रुपए जोड़कर नया काम शुरू कर सके।
आसान नहीं था सफर….
उन्होंने महिलाओं को इकट्ठा किया, सहकारी बैंक खोलने का खाका तैयार किया, महिलाओं के पढ़े-लिखे नहीं होने की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ा, लेकिन हिम्मत नहीं हारी और 600 महिलाओं के अंगूठे के निशान लगाकर बतौर प्रमोटिंग मेंबर बैंक के लाइसेंस के लिए आवेदन कर दिया और देश का पहला महिला सहकारी बैंक ‘माण देसी बैंक’ की शुरुआत कर डाली और सेवा कार्य का यह सफर आज भी जारी है।