बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक 23 वर्षीय युवक को जमानत देने से पहले कहा, यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम नाबालिगों को रोमांटिक या सहमति के संबंध में दंडित करने के लिए नहीं बनाया गया है। याचिकाकर्ता आरोपी को एक नाबालिग से बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
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जस्टिस अनुजा प्रभुदेसाई (Anuja Prabhudessai) ने पीड़िता की मां के बयान के आधार पर पाया कि कथित पीड़िता और आरोपी के बीच सहमति से संबंध थे। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, आवेदक (आरोपी) भी घटना के समय युवक था। बयान व प्रथम दृष्टया पता चलता है कि दोनों में संबंध सहमति से बने थे। यह ध्यान देने की आवश्यकता है कि पॉस्को एक्ट बच्चों को यौन उत्पीड़न आदि अपराधों से बचाने के लिए और बच्चों के हितों और भलाई की रक्षा के लिए इसमें कड़े दंडात्मक प्रावधान शामिल किये गए हैं। निश्चित रूप से इसका उद्देश्य नाबालिगों को रोमांटिक या सहमति के संबंध में दंडित करना और उन्हें अपराधी के रूप में पेश करना नहीं है। बॉम्बे हाईकोर्ट में आरोपी इमरान शेख ने जमानत याचिका दायर की थी. मुंबई पुलिस ने शेख के खिलाफ एक नाबालिग लड़की का कथित रूप से अपहरण और फिर बलात्कार करने का मामला दर्ज किया था। हालाँकि, लड़की ने गवाही दी कि यह सहमति से बना रिश्ता था और वह दिसंबर 2020 में अपने माता-पिता का घर छोड़कर चली गई थी. लड़की ने कहा कि उसका अपहरण नहीं किया गया था।
हालांकि, उसकी मां ने शेख के खिलाफ अपहरण और बलात्कार का मामला दर्ज कराया था. जिसके बाद पुलिस ने उसे 17 फरवरी 2021 में गिरफ्तार कर लिया और तब से वह जेल में बंद है। आरोपी आवेदक को जमानत पर रिहा करने का आदेश देते हुए कोर्ट ने कहा, आवेदक फरवरी 2021 से हिरासत में है। मुकदमे की सुनवाई अभी शुरू नहीं हुई है और बड़ी संख्या में लंबित मामलों को देखते हुए मुकदमे के तत्काल भविष्य में शुरू होने की संभावना नहीं है।