शुरुआत में शिंदे भी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद के इच्छुक थे। हालांकि, बीजेपी के इनकार के बाद शिंदे मुख्यमंत्री पद की दौड़ से पीछे हट गए। इसके बाद बीजेपी ने एकनाथ शिंदे को उपमुख्यमंत्री पद का ऑफर दिया। हालांकि चर्चा है कि एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री पद के बाद अब उप-मुख्यमंत्री यानी जूनियर पद लेने को तैयार नहीं हैं।
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सूत्रों का कहना है कि एकनाथ शिंदे ने रुख अपनाया है कि वह महायुति की नई सरकार से बाहर रहेंगे और उनकी जगह किसी अन्य शिवसेना नेता को उपमुख्यमंत्री का पद दिया जाए। हालांकि, बीजेपी चाहती है की शिंदे महायुति सरकार का सीधे तौर पर हिस्सा रहें। राजनीतिक विश्लेषक इसके पीछे कई राजनीतिक कारण बता रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, एकनाथ शिंदे ने शुरू में मांग की थी कि उनके बेटे श्रीकांत शिंदे को उपमुख्यमंत्री बनाया जाए। हालांकि, ऐसा नहीं लगता कि बीजेपी इस मांग को मानेगी। क्योंकि अगर शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे को उपमुख्यमंत्री बनाया जाता है तो वह सीधे तौर पर अजित पवार जैसे वरिष्ठ नेता के लेवल में आ जाएंगे। जबकि श्रीकांत शिंदे का राजनीतिक अनुभव अजित पवार से काफी कम है। इसके अलावा शिंदे गुट के कई वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर अगर श्रीकांत शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया जाता है तो विपक्ष भाई-भतीजावाद को लेकर आगामी चुनावों में बीजेपी को घेर सकता है।
इसके अलावा बीजेपी को महायुति सरकार चलाने के लिए एकनाथ शिंदे जैसे लोकप्रिय नेता की जरूरत है। पिछले ढाई सालों में एकनाथ शिंदे राज्य में मराठा समुदाय का चेहरा बनकर उभरे हैं। मनोज जरांगे जैसे मराठा कार्यकर्ता भी एकनाथ शिंदे का सम्मान करते हैं। इसलिए अगर भविष्य में मराठा आरक्षण की समस्या खड़ी हुई तो महायुति सरकार को शिंदे की जरूरत पड़ सकती है। शिंदे का युवाओं और महिलाओं के बीच भी अच्छी पकड़ है।
इसलिए भी BJP को है शिंदे की जरुरत
अगर एकनाथ शिंदे उपमुख्यमंत्री का पद स्वीकार किए बिना सरकार से बाहर रहना चुनते हैं, तो सरकार में अजित पवार की ताकत और प्रभाव स्वाभाविक रूप से बढ़ जाएगा। इसे सीमित करने के लिए महायुति सरकार को एकनाथ शिंदे की जरूरत है। साथ ही अगर राज्य में मराठा समुदाय के दो नेताओं अजित पवार और एकनाथ शिंदे को उपमुख्यमंत्री का पद दिया जाए तो मराठा समुदाय में एक अच्छा संदेश जा सकता है। इन्हीं सब कारणों से बीजेपी एकनाथ शिंदे को सरकार में चाहती है।