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एएनआई को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में सीएम शिंदे ने मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे की तारीफ की। उन्होंने कहा, “…मैं उनसे (उद्धव ठाकरे) कहता हूं कि जब राज ठाकरे जी उनके साथ थे, तो उन्होंने राज ठाकरे को क्यों छोड़ा? इसका क्या कारण था? राज ठाकरे जी बालासाहेब ठाकरे के साथ काम करते थे। 1995 के चुनाव की सभी बैठकों में राज ठाकरे शामिल हुए थे। वह बाला साहेब के बगल में रहते थे। लेकिन जब राज ठाकरे को जिम्मेदारी देने की बारी आई तो उद्धव जी की मंशा जागृत हो गई.. जैसे अब मुख्यमंत्री बनने की हुई है।“ शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे ने आगे कहा कि राज ठाकरे पार्टी से निकाले जाने के बाद भी शिवसेना को और मजबूत करना चाहते थे। उन्होंने कहा, “…राज ठाकरे को किनारे कर दिया गया था। उनके मुंह से बुलवाया गया और प्रस्ताव लाया गया कि उद्धव जी को कार्याध्यक्ष बनाया जाए और उनको हटा दिया जाए। यहां तक की हटाये जाने के बाद भी राज ठाकरे ने कहा था कि उन्हें शिवसेना के उन जगहों की जिम्मेदारी दी जाए, जहां पार्टी कमजोर है… लेकिन उन्हें असुरक्षा महसूस हो रही थी और यह भी नहीं दिया…बाबा साहेब ठाकरे की इच्छा नहीं थी कि राज ठाकरे जाएं…।”
बता दें कि राज ठाकरे शिवसेना के संस्थापक स्वर्गीय बालासाहेब ठाकरे के भतीजे है और उन्हीं की स्टाइल में फायर ब्रांड राजनीति करने के लिए जाने जाते हैं। शिवसेना छोड़ने के बाद राज ठाकरे ने 2006 में अपनी पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) की स्थापना की। तब उन्होंने मुंबई और महाराष्ट्र में मराठी मानुष का मुद्दा उठाकर गैर-मराठी लोगों के खिलाफ अभियान चलाया था। इसका फायदा उन्हें बीएमसी (BMC) चुनाव में खूब मिला था।
वैसे तो बीजेपी महाराष्ट्र में शिवसेना (एकनाथ शिंदे) और एनसीपी (अजित पवार) के साथ ‘महायुति’ गठबंधन बनाकर सत्ता में है। लेकिन राज्य के राजनीतिक समीकरण को देखते हुए हाल ही में बीजेपी ने मनसे को भी साथ जोड़ने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनी।
बता दें कि मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी नीत ‘महायुति’ गठबंधन को अपना ‘बिना शर्त समर्थन’ देने की घोषणा की थी। राज ठाकरे एनडीए में शामिल होने को लेकर चर्चा करने के लिए भी दिल्ली गए थे और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी।