भगवान गणेश ने चतुर्थी के दिन जन्म लिया था। इसलिए इस दिन को गणेश चतुर्थी कहा जाता है। इस बार चतुर्थी 5 सितम्बर को है। इस दिन दुनियाभर में गणेश जयंती धूमधाम से मनाई जाती है। इसी दिन से शुरू होता है गणेश उत्सव।
चतुर्थी पर मंगल कामना के लिए अपने घर में गणेश प्रतिमा की स्थापना करते हैं लेकिन किसी तरह के गणेश और कहां स्थापित करने से वे प्रसन्न होते हैं यह कम लोग ही जानते हैं।
mp.patrika.com गणेश उत्सव के मौके पर बताने जा रहा है कि गणेशजी की प्रतिमा को सही स्थान पर विराजित करेंगे तो वह वास्तु दोष भी सुधार देती है।
घर में रखें इन बातों का ध्यान
– घर में शांति,सुख-समृद्धि की कामना रखने वाले लोग सफेद रंग के विनायक की प्रतिमा स्थापित कर सकते हैं। घर में इनका स्थाई चित्र भी लगाना चाहिए।
– घर परिवार में हमेशा मंगल रहें, इसके लिए सिन्दूरी रंग की गणेश प्रतिमा स्थापित करके नियमानुसार आराधना करना चाहिए।
– गणेशजी की शयन करती हुई या बैठक मुद्रा वाली प्रतिमा घर पर स्थापित करना शुभ होता है। इसी प्रकार कला अथवा अन्य शिक्षा के प्रयोजन से पूजन करना हो तो नृत्य गणेश की प्रतिमा अथवा तस्वीर का पूजन लाभदायक होता है।
– बैठे हुए और बाएं हाथ की तरफ सूंड किए गणेशजी की स्थापना करना चाहिए। दाएं हाथ की तरफ यदि सूंड है तो गणेशजी हठी माने गए हैं और उनकी साधना और आराधना कठिन होती है। वे देर से प्रसन्न होते हैं।
दफ्तर में करें ऐसी प्रतिमा स्थापित
– अपने आफिस में खड़े हुए गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें। इससे कार्यस्थल पर स्फूर्ति और काम करने में उमंग बनी रहेगी। वातावरण भी दफ्तर का अच्छा रहेगा।
-वर्किंग प्लेस के ब्रह्म स्थान यानी केंद्र में करें। ईशान कोण व पूर्व दिशा में सुखकर्ता की मूर्ति या फोटो लगाना शुभ रहता है।
– अपने आफिस के साफ-सुथरे स्थान पर वक्रतुण्ड की प्रतिमा अथवा चित्र लगाए जा सकते हैं। यह जरूर ध्यान देना चाहिए कि किसी भी स्थिति में इनका मुंह दक्षिण दिशा या नैऋय कोण में न हो।
– गणेशजी को मोदक और उनका वाहन मूषक बेहद प्रिय होता है। इसलिए मूर्ति स्थापना से पहले मोदक (बूंदी के लड्डू) और चूहा (मूषक) को पहले ही ले आएं।
ऐसे मिट जाता है वास्तु दोष
– घर के मुख्य द्वार पर एकदंत की प्रतिमा या फोटो लगा है तो उसके दूसरी ओर ठीक उसी जगह पर दोनों गणेशजी की पीठ मिली होना जरूरी है। इस प्रकार से दूसरी प्रतिमा अथवा चित्र लगाने से वास्तु दोष खत्म हो जाते हैं।
गणेशजी का एक रूप है स्वस्तिक
– भवन के जिस क्षेत्र में वास्तु दोष हो, वहां घी और सिन्दूर से स्वस्तिक बनाना चाहिए। वास्तु दोष खत्म करने के लिए स्वास्तिक की अहम भूमिका होती है। यह ग्रह शान्ति भी करता है। इसलिए घर में अष्टधातु से बना पिरामिड यंत्र पूरब दिशा वाली दीवार पर लगाना चाहिए।
– रविवार को पुष्य नक्षत्र पड़े, तब श्वेतार्क या सफेद मंदार की जड़ के गणेश की स्थापना करनी चाहिए। इसे सर्वार्थ सिद्धिकारक कहा गया है। इससे पूर्व ही गणेश को अपने यहां रिद्धि-सिद्धि सहित पदार्पण के लिए निमंत्रण दे आना चाहिए और दूसरे दिन, रवि-पुष्य योग में लाकर घर के ईशान कोण में स्थापना करनी चाहिए।
– गणेशजी को रोज दूर्वा अर्पित करना चाहिए। दूर्वा चढ़ाकर समृद्धि की कामना के लिए ‘ऊं गं गणपतये नमः का जाप करना चाहिए।