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39.96 करोड़ का फर्जीवाड़ा, भाजपा नेताओं की संलिप्तता के चलते कार्रवाई नहीं कर रहे अधिकारी

– मामला 132 हाईस्कूल व हायरसेकेंडरी स्कूल भवनों की मरम्मत का
– एक स्कूल भवन की मरम्मत पर शासन से आए थे तीन लाख रुपए, छत पर सीमेंट का घोल बनाकर डाला, टपक रही हैं स्कूलों की छत
– हिंगौंना हाईस्कूल के पास स्वयं की बिल्डिंग नहीं फिर भी मरम्मत पर तीन लाख निकाले

मोरेनाSep 18, 2024 / 04:09 pm

Ashok Sharma

मुरैना. करोड़ों रुपए की राशि से जिले के 132 हाईस्कूल व हायरसेकेंडरी स्कूलों के भवनों की मरम्मत कराई गई है। यहां छतों की मरम्मत के नाम पर प्लास्टर न कराते हुए सीमेंट का घोल बनाकर छतों पर डाला गया था जो अधिकांश छतों से उखड़ चुका है, छतों से पानी टपक रहा है। पुताई कराई वह भी बारिश में धुल चुकी है। इन स्कूलों की मरम्मत में कुछ फर्म भाजपा नेताओं की बताई गई हैं, इसलिए विभागीय और प्रशासन के अधिकारी कार्रवाई की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।
यहां बता दें कि राष्ट्रीय शिक्षा मिशन के तहत जिले के 132 हाईस्कूल व हायरसेकेंडरी स्कूल भवनों की मरम्मत के लिए 39.96 करोड़ की राशि आई थी। इनमें से 93 स्कूलों की मरम्मत का 27.90 करोड़ रुपए का भुगतान पहली बार में कर किया गया। शेष भुगतान बाद में किया गया है। कुछ अपात्र स्कूल भवन थे, उनके नाम पर भी पैसा निकाला जा चुका है। भवनों की मरम्मत कराने के लिए 30 के करीब फर्मों को काम दिया गया। इनमें से कुछ नेताओं की तो कुछ अधिकारियों की फर्म बताई गई हंै। इन स्कूलों की मरम्मत का कार्य नवंबर 2022 से मार्च 2023 के बीच कराया गया था। एक स्कूल भवन की मरम्मत के लिए 3 लाख रुपए आया था।
एसएमसी ने कराई पुताई, फर्म ने फोटो लगाकर लिया भुगतान
शासकीय हाईस्कूल उम्मेदगढ़ बांसी के लिए भी 3 लाख रुपए आए थे चूंकि यहां बिल्डिंग नई बनी थी और स्कूल मैंनेजमेंट कमेटी ने पुताई करवाई थी। जब भुगतान के लिए फाइल कार्यालय में आई तो शिकायत हुई तत्कालीन एपीसी गिरीश व्यास द्वारा भुगतान पर रोक लगा दी थी, चूंकि फर्म संचालनालय भोपाल के एक अधिकारी के भतीजे की थी इसलिए बाद में डीइओ व एडीपीसी ने भुगतान कर दिया। वहीं शासकीय हाईस्कूल हिंगौंना के पास स्वयं की बिल्डिंग नहीं हैं फिर भी मरम्मत के नाम पर तीन लाख रुपए निकाल लिए। ऐसी और भी संस्थाएं हैं जहां कोई कार्य नहीं हुआ है फिर भी भुगतान कागजों में कर दिए।
विधानसभा में भी उठा था मामला, फिर भी कार्रवाई नहीं
जिले के सरकारी स्कूलों की मरम्मत के नाम पर हुए फर्जीवाड़े का मामला तत्कालीन मुरैना विधायक राकेश मावई, अंबाह विधायक कमलेश जाटव ने भी विधानसभा में उठाया था लेकिन आज तक उक्त मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है। खास बात यह है कि कुछ ऐसे अपात्र स्कूल हैं जिनका भोपाल व मुरैना की सूची में नाम तक नही था, फिर भी काम करा दिया गया।
शिक्षा विभाग के पास टेक्नीकल अधिकारी नहीं, फिर कैसे हुआ मूल्यांकन
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में टेक्नीकल अधिकारी अर्थात इंजीनियर नहीं हैं जबकि बगैर इंजीनियर के निर्माण कार्य होना संभव नहीं हैं। इसके अलावा अगर निर्माण हो भी गया तो उसका मूल्यांकन भी इंजीनियर ही करता है लेकिन यहां किसने मूल्यांकन किया, किसने तकनीकी स्थिति को देखा, यह जांच का विषय है।
इन फर्मों ने किए कार्य
शिक्षा विभाग ने जिन फर्मों से काम कराए उनमें एन के बी कंसट्रेक्शन, पीएस इंटरप्राइजेज, एल एम कंसटे्रक्शन, चैतन्य कंसट्रेक्शन, एम एस अंकित इंटरप्राइजेज, आर्यन कंस्ट्रंक्शन, आर एम आर, जय बजरंग सहित करीब 30 फर्म शामिल हैं। इनमें से चार फर्म इंदौर की और चार फर्म स्थानीय नेताओं के परिजन या रिश्तेदारों की हैं। चार फर्म शिक्षा विभाग के एक अधिकारी की बताई गई हैं। इनमें से सबसे अधिक कार्य एल एम, एम एस अंकित, चैतन्य, एन के बी ने कराए हैं।
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