आपको बता दें कि बुजुर्ग महिला कमला देवी के पति चौखेलाल वनरक्षक थे। साल 1956 में अपनी ड्यूटी के दौरान ही उनकी मृत्यु हो गई थी। पिता की मौत के समय उनका बेटा सिर्फ 11 महीने का था। कमला देवी को उनके भाई अपने गांव तुड़ीला ले आए, जहां वो अपना बाकी का जीवन बिता रही हैं। आज उनका बेटा ही 68 साल का हो चुका है और मां पेंशन की लड़ाई लड़ते-लड़ते 88 साल की हो गई हैं। लेकिन, आज भी उनकी निगाहें सरकार से न्याय की आस को तरस रही हैं।
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पेंशन के बारे में नहीं थी जानकारी
हैरानी की बात तो ये है कि, जबकि कमला देवी के पति चौखेलाल की मृत्यु ड्यूटी के दौरान हुई थी। बावजूद इसके वन विभाग द्वारा उन्हें ये तक नहीं बताया गया कि सरकारी नियम के अनुसार, सरकारी नौकरी करने वाले पति की मृत्यु के बाद उनकी विधवा को पेंशन दी जाती है। कमला देवी को इस बात की जानकारी साल 1996 में लगी, जिसके बाद उन्होंने विभाग से अपने हक की दरकार की, लेकिन विभाग के उदासीन रवैय्ये के चलते उन्हें अपने इस अधिकार के लिए कानूनी लड़ाई शुरू करनी पड़ी। यह भी पढ़ें- रेल यात्री सावधान! रेलवे ने कई ट्रेनें कीं कैंसिल, कई के रूट बदले, देखें लिस्ट