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अगर उतर आता करंट तो हो जाता बड़ा हादसा जानकारी के मुताबिक अगवानपुर दिल्ली रोड बाईपास पर सेंट मेरी स्कूल की बस छुट्टी के वक्त बच्चों को लेकर वापस आ रही थी तब ये हादसा हुआ। बच्चों के अभिभावकों का आरोप है कि जिस वक्त बस हादसे का शिकार हुई उस वक्त हाईटेंशन लाइन में बिजली चालू थी और बिजली का तार हादसे की वजह से टूट जाता तो बच्चों की जान पर बन आती। आक्रोशित अभिभावकों के मुताबिक उनके द्वारा स्कूल प्रबंधन को कई बार खटारा हो चुकी बसों को बदलने का आग्रह किया गया। लेकिन कभी भी उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया गया। अभिभावकों का आरोप है की स्कूल प्रबंधन द्वारा जो बसें बच्चों को मुहैया कराई गई है उनमें से ज्यादातर की हालत सड़क पर चलने लायक नहीं है। कई बार स्कूल प्रबन्धन से इस बारे में कहा भी गया।
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स्कूल वाहनों की चेकिंग के दावे हवाहवाई अभिभावकों ने थाना प्रभारी छजलैट को लिखित शिकायत देकर कार्रवाई करने की मांग की है। अभिभावकों ने शिकायत की है कि अगर स्कूल प्रबंधन समय रहते उनकी बात मान लेता तो आज यह हादसा होने से टाला जा सकता था। पुलिस ने परिजनों की तहरीर लेकर मामले की जांच शुरू कर दी है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है की कुशीनगर हादसे के बाद जिला प्रशासन द्वारा स्कूली बसों को लेकर जो अभियान चलाए गए थे। क्या वो महज सब कुछ सही होने का दिखावा था।