वहीं नामांकन के बाद डॉ. एसटी हसन का टिकट कटवा कर आजम ने रुचिवीरा को मुरादाबाद से प्रत्याशी बनवाया था। ऐसे में आपसी खींचतान में दोनों सीटों पर इन नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लग गई थी। पहले चरण के मतदान से पहले टिकटों के बंटवारे को लेकर अखिलेश यादव और आजम खान आमने सामने आ गए थे। जिस लेकर पश्चिमी यूपी की रामपुर और मुरादाबाद लोकसभा सीट प्रदेश में सुर्खियों में आ गई थी।
मुरादाबाद मंडल में प्रत्याशियों के नामों पर मुहर लगाने से पहले अखिलेश यादव ने आजम खान से सीतापुर जेल में मुलाकात की थी। आजम खान ने अखिलेश यादव को रामपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया था। साथ ही मुरादाबाद सीट से बिजनौर की पूर्व विधायक रुचिवीरा को प्रत्याशी बनाने की सिफारिश की थी।
अखिलेश यादव ने उनके प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया। इसके बाद आजम खान ने रामपुर में लोकसभा चुनाव के बहिष्कार का एलान कर दिया था। इस खींचतान के बीच अखिलेश यादव ने आजम की पसंद को दरकिनार कर दिल्ली पार्लियामेंट्री स्ट्रीट की मस्जिद के इमाम मौलाना मोहिब्बुल्लाह नदवी को रामपुर से उम्मीदवार घोषित कर दिया था।
यहीं नहीं मौजूदा सांसद डॉ. एसटी हसन को मुरादाबाद प्रत्याशी बना दिया था। डॉ. एसटी हसन ने मुरादाबाद सीट से नामांकन भी दाखिल कर दिया था। सियासी तकरार बढ़ने पर नामांकन के चौबीस घंटे बाद अखिलेश यादव ने डॉ. एसटी हसन का टिकट काटकर मुरादाबाद के लिए रुचिवीरा को सिंबल थमा दिया और आजम खान को बैलेंस करने की कोशिश की थी। लेकिन रामपुर सीट से प्रत्याशी में कोई बदलाव नहीं किया गया था।
ऐसी परिस्थितियों में इन प्रत्याशियों की हार-जीत अखिलेश और आजम की प्रतिष्ठा से जुड़ गई थी। लेकिन मंगलवार को दोनों सीटों पर सपा उम्मीदवारों की जीत ने दोनों नेताओं की साख पर बट्टा लगाने से बचा ली।