इस साल की थीम
हर साल विश्व बाल श्रम निषेध दिवस को एक नई थीम के साथ मनाया जाता है। 2021 की थीम ‘एक्ट नाउ: एंड चाइड लेबर’ यानि ‘अभी सक्रिय हों बाल श्रम खत्म करें’ है। कोविड-19 महामारी के कारण कई देशों में लॉकडाउन की स्थिति उत्पन्न बनी हुई है। कोरोना की वजह से कई लोगों की जिंदगी प्रभावित हुई और इस वजह से कई बच्चों की जिंदगी भी प्रभावित हुई है। ऐसी स्थिति में बहुत से बच्चों को बाल श्रम की ओर धखेला जा सकता है। पिछले दो दशकों में यह पहली बार है कि दुनिया ने इतनी तेजी बाल श्रम बढ़ते देखा है।
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विश्व बाल श्रम निषेध दिवस का इतिहास
सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने साल 1919 में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की स्थापना की गई थी। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के 187 सदस्य देश है। साल 1973 में ILO सम्मेलन संख्या 138 को अपनाया गया और रोजगार के लिए न्यूनतम आयु पर ध्यान केंद्रित किया गया। इसका उद्देश्य सदस्य राज्यों को रोजगार की न्यूनतम आयु बढ़ाने और बाल श्रम को समाप्त करना है। बच्चे हर देश का भविष्य हैं। ये समझते हुए अपने भविष्य के बारे में सोचें और उसे बचाएं। मजबूरी के कारण कई बच्चों का बचपन ही छिन गया है।
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तेजी से बढ़ रही है बाल श्रमिकों की संख्या
एक रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 दुनिया भर में पिछले चार साल में बाल श्रमिकों की संख्या 84 लाख से बढ़ कर 1.6 करोड़ तक हो गई है। वहीं आईएलओ की रिपोर्ट के अनुसार 5 से 11 साल की उम्र के बाल श्रम में पड़े बच्चों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। अब इन बच्चों की संख्या कुल बाल श्रमिकों की संख्या की आधी से ज्यादा हो गई है। वहीं 5 से 17 साल तक के बच्चे जो खतरनाक काम करने में लगे हुए है। वे साल 2016 से 65 लाख से 7.9 करोड़ तक हो गए हैं।
विश्व बाल श्रम निषेध दिवस का महत्व
बाल श्रम दुनिया में एक आर्थिक-सामाजिक समस्या है। यह एक समाज और देश पर ऐसा दाग है जो पूरी दुनिया में उसकी छवि खराब करता है और एक समाज की बहुत सारी समस्याओं को दर्शाता है। 12 जून को बाल श्रम की समस्या को खिलाफ चिहिृत किया गया है। यह दिन मुख्य रूप से बच्चों के विकास पर केंद्रित है और यह बच्चों के लिए शिक्षा और गरिमापूर्ण जीवन के अधिकार की रक्षा करता है। बाल श्रम पर अंकुश लगाने के लिए संयुक्त राष्ट्र, आईएलओ सहित कई संगठन प्रयास कर रहे हैं। बच्चों को जबरन श्रम में धकेल दिया जाता है। ऐसे में बच्चों की पहचान करे और उनकी मदद के लिए आगे आना चाहिए।