ताकतवर देशों में छठे स्थान पर भारत सोसायटी की रिपोर्ट ऑडिट ऑफ जियो पॉलिटिकल कैपेसिटी में ब्रिटेन को जर्मनी और फ्रांस जैसे यूरोपियों संघ के देशों से आगे रखा गया है। रिपोर्ट में यह दावा भी किया गया है कि वैश्विक स्तर पर ब्रिटेन आर्थिक शक्ति चीन और भारत जैसे प्रभावशाली देशों से भी अगले पायदान पर है।
7 मानकों के आधार पर की है तुलना
थिंक टैंक ने अपनी इस रिपोर्ट में सात मानकों को आधार माना है, जिनमें अर्थशास्त्र, तकनीकी कौशल, सैन्य शक्ति, सांस्कृतिक प्रतिष्ठा, राजनयिक और जनसांख्यिकी को शामिल किया गया है। इसके अंतर्गत अमरीका को विश्व स्तर पर पहले स्थान पर रखा गया है, जबकि ब्रिटेन दूसरे स्थान पर रखा है। इस रिपोर्ट में फ्रांस तीसरे, चीन चौथे, जर्मनी पांचवे, भारत छठे, जापान सातवें और रूस को आठवें स्थान पर रखा है।
थिंक टैंक ने अपनी इस रिपोर्ट में सात मानकों को आधार माना है, जिनमें अर्थशास्त्र, तकनीकी कौशल, सैन्य शक्ति, सांस्कृतिक प्रतिष्ठा, राजनयिक और जनसांख्यिकी को शामिल किया गया है। इसके अंतर्गत अमरीका को विश्व स्तर पर पहले स्थान पर रखा गया है, जबकि ब्रिटेन दूसरे स्थान पर रखा है। इस रिपोर्ट में फ्रांस तीसरे, चीन चौथे, जर्मनी पांचवे, भारत छठे, जापान सातवें और रूस को आठवें स्थान पर रखा है।
नहीं पड़ा ब्रेक्सिट का फर्क
हालांकि आलोचकों का मानना था कि ब्रेक्सिट के बाद ब्रिटेन पर इसका व्यापक असर पड़ेगा। लेकिन हेनरी जैक्सन सोसाइटी के कार्यकारी निदेशक एलन मेंडोजा का कहना है कि ब्रेक्सिट को लेकर किए जा रहे दावों के उलट ब्रिटेक एक विश्व की प्रमुख शक्ति के रूप में उभरा है। रिपोर्ट के लेखक जेम्स रोजर्स ने कहा कि ब्रेक्सिट के बाद कुछ लोगों की सोच थी कि ब्रिटेन आर्थिक व राजनीतिक रूप से काफी कमजोर पड़ेगा, लेकिन ऑडिट से स्पष्ट हो गया है कि ब्रेक्सिट का यूके पर कोई असर नहीं पड़ा है और यह एक मजबूत राष्ट्र के रूप में आगे आया है।
हालांकि आलोचकों का मानना था कि ब्रेक्सिट के बाद ब्रिटेन पर इसका व्यापक असर पड़ेगा। लेकिन हेनरी जैक्सन सोसाइटी के कार्यकारी निदेशक एलन मेंडोजा का कहना है कि ब्रेक्सिट को लेकर किए जा रहे दावों के उलट ब्रिटेक एक विश्व की प्रमुख शक्ति के रूप में उभरा है। रिपोर्ट के लेखक जेम्स रोजर्स ने कहा कि ब्रेक्सिट के बाद कुछ लोगों की सोच थी कि ब्रिटेन आर्थिक व राजनीतिक रूप से काफी कमजोर पड़ेगा, लेकिन ऑडिट से स्पष्ट हो गया है कि ब्रेक्सिट का यूके पर कोई असर नहीं पड़ा है और यह एक मजबूत राष्ट्र के रूप में आगे आया है।